किडनी का गोरख धंधा! दिल्ली पुलिस ने पकड़ा रैकेट; जब्ति के आंकड़े हिला देंगे

Jul 19, 2024

दिल्ली पुलिस ने हाल ही में एक फर्जी किडनी ट्रांस्प्लांट रैक्ट का भंडाफोड़ किया है. साथ ही सरगना समेत 8 लोगों को गिरफ्तार भी किया है. ये सभी लोग आर्थिक तौर पर मजबूर लोगों के साथ मिलकर ये खेल खेलते थे. हैरानी की बात है कि इनमें से कुछ लोगों ने अस्पताल में जाकर ट्रेनिंग ली और फिर उस ट्रेनिंग का इस्तेमाल इस धंधे में कर रहे थे. ना सिर्फ दिल्ली बल्कि देश के कई राज्यों में इनका नेटवर्क फैला हुआ था.

नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस की आईएससी क्राइम ब्रांच ने अंतरराज्यीय अवैध किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट का भंडाफोड़ करते हुए 8 लोगों को गिरफ्तार किया है. जो दिल्ली-एनसीआर, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश और गुजरात में एक्टिव थे. आरोपियों के कब्जे से अलग-अलग तरह के अधिकारियों के टिकट, मुहर और फर्जी दस्तावेज भी बरामद हुए हैं. इनके कब्जे से 34 फर्जी टिकट, 17 मोबाइल फोन, 2 लैपटॉप, 9 सिम, 1 लग्जरी कार, 1 लाख 50 हजार नगद, मरीजों और डोनर के जाली दस्तावेज बरामद किए हैं.

एक महिला शिकायतकर्ता ने संदीप और विजय कुमार कश्यप उर्फ सुमित के खिलाफ शिकायत दी कि उन्होंने किडनी ट्रांस्प्लांट के बहाने उसके पति से 35 लाख की ठगी की है. इस संबंध में मामला दर्ज कर रमेश लांबा एसीपी आईएससी क्राइम ब्रांच की देखरेख में इंस्पेक्टर सतेंद्र मोहन के नेतृत्व में एक टीम बनाई गई. इस टीम ने 26 जून 2024 को आरोपी सुमित उर्फ विजय कश्यप को नोएडा से गिरफ्तार किया गया और उसके कब्जे से काफी मात्रा में जाली कागजात, स्टांप सील और मरीज डोनर की फाइलें बरामद की गईं.

बाकायदा ट्रेनिंग लेकर किया काम:

टीम ने  28 जून को संदीप आर्य और उत्तराखंड के देवेंद्र दोनों को गोवा के एक पांच सितारा होटल से गिरफ्तार किया. पूछताछ के दौरान पता चला कि संगठित तरीके से आरोपी पहले मशहूर अस्पतालों में ट्रांसप्लांट को-ऑर्डिनेटर के तौर पर में नौकरी लेते थे और फिर संबंधित अस्पताल की तरफ से किडनी ट्रांसप्लांट के लिए अपनाई गई प्रक्रिया के बारे में पूरी तरह सीखते थे. इसके बाद, वे किडनी की बीमारी से पीड़ित दिल्ली, फरीदाबाद, मोहाली, पंचकूला, आगरा, इंदौर और गुजरात के अलग-अलग अस्पतालों में इलाज करा रहे मरीजों की पहचान करते थे. 

बनाते थे फर्जी रिश्तेदार:

आरोपी व्यक्ति सोशल मीडिया से दानदाताओं से संपर्क व्यवस्था करते थे और उनकी खराब आर्थिक स्थिति का फायदा उठाकर किडनी देने के लिए 5 से 6 लाख रुपये देने के बहाने उनका शोषण करते थे. वे मरीज दानकर्ताओं के जाली दस्तावेज तैयार कर उन्हें करीबी रिश्तेदार दिखाते थे क्योंकि यह अनिवार्य प्रावधानों में से एक है. कुछ मामलों में उन्होंने फर्जी दस्तावेज बनाए और किसी भी संदेह से बचने के लिए अलग-अलग राज्यों के अस्पताल में ट्रांस्प्लांट कराने के लिए दानकर्ता और मरीज को दूसरे राज्य का निवासी दिखाया. 

34 मामलों की हुई पहचान:

जाली दस्तावेजों के आधार पर उन्होंने अपनी शुरुआती मेडिकल जांच कराई और विभिन्न अस्पतालों में ट्रांस्प्लांट करने  वाली कमेटी की जांच पास करने की व्यवस्था की. अब तक यह पता चला है कि गिरोह ने अलग-अलग राज्यों के 11 अस्पतालों में किडनी ट्रांस्प्लांट में कामयाबी हासिल की थी. आगे की जांच के दौरान, उनकी निशानदेही पर, 5 सहयोगियों को अलग-अलग जगहों से से गिरफ्तार किया गया. इसके अलावा, किडनी ट्रांसप्लांट करवाने वाले 5 मरीजों और 2 डोनर की पहचान की गई है और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की गई है. अब तक अवैध किडनी ट्रांसप्लांट के 34 मामलों की पहचान की गई है. 

5 बड़े आरोपियों का प्रोफाइल:

1. संदीप आर्या- निवासी नोएडा (यूपी)- संदीप किडनी रैकेट का सरगना है और पब्लिक हेल्थ में एमबीए है. उसने फरीदाबाद, दिल्ली, गुरुग्राम, इंदौर और वडोदरा के विभिन्न अस्पतालों में ट्रांसप्लांट को-ऑर्डिनेटर के रूप में काम किया. वह मरीजों से संपर्क करता था और उन अस्पतालों में किडनी ट्रांसप्लांट की व्यवस्था करता था, जहां उसे ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर के रूप में तैनात किया गया था. वह प्रत्येक किडनी ट्रांसप्लांट के लिए लगभग 35-40 लाख लेता था, जिसमें मरीजों द्वारा भुगतान किया गया अस्पताल का खर्च, डोनर की व्यवस्था, आवास और सर्जरी के लिए आवश्यक अन्य कानूनी दस्तावेज शामिल थे. वह प्रत्येक किडनी ट्रांसप्लांट से 7 से 8 लाख बचाता था. वह पहले दिल्ली के पीएस शालीमार बाग के क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी के मामले में शामिल था.

2. देवेन्द्र झा- निवासी उत्तराखंड- देवेंद्र 10वीं कक्षा तक पढ़ा है और संदीप आर्य का साला है, जिसने उसे अपना खाता उपलब्ध कराया था, जिसमें शिकायतकर्ता के पति से 7 लाख प्राप्त हुए थे. उसका काम आरोपी संदीप आर्य की सहायता करना और उसके निर्देश पर भुगतान प्राप्त करना था. वह हर मामले के लिए 50 हजार लेता था.

3. विजय कुमार कश्यप उर्फ सुमित- निवासी लखनऊ (यूपी)- सुमित ग्रेजुएट है. शुरुआत में वह पैसे के लिए अपनी किडनी देने के लिए आरोपी संदीप आर्य के संपर्क में आया था. इसके बाद वह इसमें शामिल हो गया और संदीप आर्य के साथ काम कर

करता था.सुमित को प्रत्येक केस के लिए उसे 50 हजार मिलते थे. उसका काम मरीज रिसीवर की जीवनशैली और पारिवारिक पृष्ठभूमि के अनुसार डोनर के व्यक्तित्व को संवारना और संदीप के निर्देश पर सर्जरी से पहले डोनर की सुविधा प्रदान करना था.

4. पुनीत कुमार- निवासी आगरा (यूपी)- उसने 2018 में अस्पताल प्रबंधन की डिग्री हासिल की और उसके बाद विभिन्न राज्यों के 07 प्रतिष्ठित अस्पतालों में सेवा की. वह संदीप के निर्देश पर मरीज और डोनर के बीच संबंध साबित करने के लिए फर्जी दस्तावेज तैयार करता था. वर्तमान में वह यूपी के आगरा के एक अस्पताल में ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर के पद पर काम कर रहा था. संदीप उसे प्रत्येक फाइल के लिए 50 हजार से 1 लाख रुपये देता था.

5. मोहम्मद हनीफ शेख निवासी मुंबई (MH)- वह पेशे से दर्जी है और घाटे के बाद वह फेसबुक पेज के जरिए संदीप आर्य के संपर्क में आया और पैसे के लिए अपनी किडनी दान कर दी. इसके बाद वह अपराध में लिप्त हो गया और संदीप आर्य के लिए काम करता था. उसका काम आरोपी संदीप आर्य को मरीज या डोनर मुहैया कराना था जिसके बदले में उसे हर केस के लिए क्रमश: 5 या 1 लाख रुपये मिलते थे.