'मोदी-चोर' टिप्पणी - मानहानि मामले में दोषसिद्धि पर रोक लगाने की राहुल गांधी की याचिका पर सुनवाई से गुजरात हाईकोर्ट जज ने खुद को अलग किया
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गुजरात हाईकोर्ट की न्यायाधीश जस्टिस गीता गोपी ने बुधवार को अप्रैल 2019 में करोल में एक राजनीतिक अभियान के दौरान की गई अपनी टिप्पणी "सभी चोर मोदी सरनेम क्यों साझा करते हैं" पर मानहानि मामले में अपनी सजा पर रोक लगाने की राहुल गांधी की याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। गांधी की आपराधिक पुनरीक्षण याचिका मंगलवार को हाईकोर्ट के समक्ष सूरत सत्र न्यायालय के 20 अप्रैल के आदेश को चुनौती देने के लिए दायर की गई थी , जिसमें उनकी दोषसिद्धि पर रोक लगाने की उनकी याचिका को खारिज कर दिया गया था। सूरत सत्र न्यायालय के 20 अप्रैल के आदेश को चुनौती देते हुए राहुल गांधी ने मंगलवार को हाईकोर्ट के समक्ष एक आपराधिक पुनरीक्षण याचिका दायर की गई, जिसमें उनकी दोषसिद्धि पर रोक लगाने की उनकी अर्जी को खारिज कर दिया गया था। गौरतलब है कि 23 मार्च को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने गांधी को दो साल की जेल की सजा सुनाई थी, जिसके बाद उन्हें लोकसभा के सांसद के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया था। हालांकि उनकी सजा को निलंबित कर दिया गया और उन्हें 30 दिनों के भीतर अपनी सजा के खिलाफ अपील दायर करने में सक्षम बनाने के लिए जमानत भी दी गई थी। इसके बाद गांधी ने अपनी सजा के आदेश को चुनौती देते हुए 3 अप्रैल को सूरत सत्र न्यायालय का रुख किया। उन्होंने अपनी सजा पर रोक लगाने के लिए एक अर्जी भी दाखिल की। हालांकि गांधी को 3 अप्रैल को अदालत द्वारा जमानत (उनकी अपील के निस्तारण तक) दी गई, लेकिन उनकी दोषसिद्धि पर रोक लगाने के उनके आवेदन को 20 अप्रैल को खारिज कर दिया गया। कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा था कि संसद सदस्य और दूसरी सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी के अध्यक्ष होने के नाते गांधी को अपने शब्दों के प्रति अधिक सावधान रहना चाहिए था, जिसका लोगों के दिमाग पर बड़ा प्रभाव पड़ता। सूरत की सेशन कोर्ट ने मानहानि मामले में राहुल गांधी की दोषसिद्धि पर रोक लगाने से इनकार किया, कहा- उन्हें शब्दों के चयन में अधिक सावधान रहना चाहिए था भाजपा विधायक और गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले राहुल गांधी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 499 और 500 के तहत उनकी कथित टिप्पणी के लिए शिकायत दर्ज की थी जिसमें कहा गया था कि उन्होंने कर्नाटक के कोलार में एक रैली को संबोधित करते हुए 'मोदी' सरनेम वाले सभी लोगों को बदनाम किया है। उपायुक्त और जिला चुनाव अधिकारी, कोलार जिले के कार्यालय द्वारा विधिवत अधिसूचित वीडियो निगरानी टीम और वीडियो देखने वाली टीम द्वारा टिप्पणियों की वीडियोग्राफी की गई थी। गुजरात हाईकोर्ट ने इस साल फरवरी में आपराधिक मानहानि मामले में मुकदमे पर रोक हटा दी थी। अदालत ने जब फैसला सुनाया तब गांधी राहुल गांधी अदालत में मौजूद रहे। इससे पहले भी वह तीन बार कोर्ट के सामने पेश हुए थे। गांधी ने कहा कि जब उन्होंने प्रश्नगत बयान दिया तो उनकी ओर से कोई दुर्भावना नहीं थी।