[ज्ञानवापी] इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एएसआई सर्वेक्षण पर गुरुवार तक रोक लगाई, मामले पर कल दोपहर 3:30 बजे सुनवाई होगी
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुधवार को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के एएसआई सर्वेक्षण पर गुरुवार 27 जुलाई तक के लिए रोक लगा दी। मामले की सुनवाई कल दोपहर 3:30 बजे होगी। एएसआई अधिकारी को कल अदालत में पेश होने का निर्देश दिया गया है। मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर की पीठ ने वाराणसी जिला न्यायाधीश के ज्ञानवापी मस्जिद के 21 जुलाई के एएसआई सर्वेक्षण आदेश को अंजुमन इंतजामिया मस्जिद समिति की चुनौती पर सुनवाई करते हुए आज यह आदेश पारित किया। उल्लेखनीय है कि अंजुमन मस्जिद समिति ने कल हाईकोर्ट में वाराणसी न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें एएसआई को मस्जिद परिसर (वुजुखाना को छोड़कर) का सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया गया था। यह आदेश 4 हिंदू महिला उपासकों द्वारा दायर एक आवेदन पर पारित किया गया था, जो मस्जिद परिसर के अंदर पूजा करने के लिए साल भर की पहुंच की मांग करते हुए जिला न्यायालय के समक्ष दायर एक मुकदमे में पक्षकार हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 24 जुलाई को एएसआई सर्वेक्षण पर 26 जुलाई शाम 5 बजे तक रोक लगा दी थी, जिससे मस्जिद समिति को हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने के लिए कुछ समय" मिल सके। कल, अंजुमन समिति ने हाईकोर्ट के समक्ष तर्क दिया कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) कभी भी मुकदमे में पक्षकार नहीं था या वाराणसी न्यायालय ने कभी इस पर ध्यान नहीं दिया और इसके बावजूद, जिला न्यायाधीश ने उसे मस्जिद परिसर का सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया। उन्होंने यह भी तर्क दिया था कि एक बार वैज्ञानिक सर्वेक्षण हो जाने के बाद, जिस तरह से उन्होंने (हिंदू महिला उपासकों ने) दावा किया है, पूरे मस्जिद परिसर को नष्ट कर दिया जाएगा। इससे पहले आज इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मस्जिद परिसर में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा किए जाने वाले कार्य के संबंध में अपना "मजबूत संदेह" व्यक्त किया । एएसजीआई (एएसआई की ओर से उपस्थित) द्वारा प्रस्तावित सर्वेक्षण की सटीक पद्धति को समझाने में विफल रहने के बाद मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर की पीठ ने मौखिक टिप्पणी की। एएसजीआई ने पीठ को यह स्पष्ट करने का प्रयास किया कि वह वाराणसी न्यायालय के आदेश के अनुसार संरचना को कोई नुकसान पहुंचाए बिना ग्राउंड-पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) पद्धति का उपयोग करेगा, लेकिन पीठ आश्वस्त नहीं थी।