पालघर लिंचिंग- सुप्रीम कोर्ट सीबीआई जांच की मांग वाली याचिका पर 14 अप्रैल 2023 को सुनवाई करेगा
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पालघर मॉब लिंचिंग मामले की सीबीआई जांच की मांग वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने 14 अप्रैल 2023 को सूचीबद्ध किया है। सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने मामले की सुनवाई की। याचिकाकर्ता ने पीठ को सूचित किया कि महाराष्ट्र राज्य द्वारा एक नया हलफनामा दायर किया गया है जिसमें कहा गया है कि वे सीबीआई जांच करेंगे। गौरतलब है कि महाराष्ट्र सरकार ने पहले याचिका का विरोध किया था और 28 अगस्त, 2020 को इस मामले में आरोप पत्र दायर किया था। इसने विभागीय जांच के माध्यम से दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई भी की थी। अपना रुख बदलते हुए डीजीपी मुंबई के कार्यालय ने 11 अक्टूबर 2022 के एक हलफनामे में कहा, " महाराष्ट्र राज्य सीआर नंबर 76/2020 और सीआर नंबर 77/2020 की जांच सीबीआई को सौंपने के लिए तैयार और इच्छुक है और इसके लिए उसे कोई आपत्ति नहीं होगी। " सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने बुधवार की सुनवाई में मौखिक रूप से कहा- " आखिरकार, सीबीआई यह कर सकती है। हमें आदेश क्यों पारित करना चाहिए? " हालांकि पीठ ने अंततः याचिका पर सुनवाई करने का फैसला किया और इसे 14 अप्रैल 2023 के लिए सूचीबद्ध किया। पृष्ठभूमि पालघर में अप्रैल 2020 में उन्मादी भीड़ ने महाराज कल्पवृक्ष गिरि @ चिकना बाबा और श्री सुशील गिरि महाराज नाम के दो हिंदू संतों की हत्या कर दी थी। दोनों संत मुंबई से सूरत की यात्रा कर रहे थे, जब उनकी कार को 200 से अधिक लोगों की भीड़ ने रोक लिया। यह भीड़ तब कार को पलटने के लिए आगे बढ़ी और पथराव किया, जिसके परिणामस्वरूप दोनों संतों के साथ-साथ कार के चालक की भी मौत हो गई। जून 2020 में श्री पंच दशबन जूना अखाड़ा के हिंदू साधुओं और दो मृतक साधुओं के रिश्तेदारों ने मामले की जांच कर रहे राज्य के अधिकारियों द्वारा पक्षपात का आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। उन्होंने मामले में सीबीआई/एनआईए जांच की मांग की और तदनुसार, महाराष्ट्र सरकार, महाराष्ट्र डीजीपी, केंद्र सरकार, एनआईए और सीबीआई को नोटिस जारी किए गए।