खून खराबा जारी रहा तो मतदान रोक देना चाहिए': कलकत्ता हाईकोर्ट ने पंचायत चुनावों के लिए नामांकन के दौरान हिंसा की सीबीआई जांच के आदेश दिए

Jun 22, 2023
Source: https://hindi.livelaw.in/

कलकत्ता हाईकोर्ट ने बुधवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को पश्चिम बंगाल में त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था के लिए आठ जुलाई को होने वाले चुनावों के लिए नामांकन के दौरान हुई हिंसा और भ्रष्टाचार के कथित मामलों की जांच करने का निर्देश दिया। जस्टिस अमृता सिन्हा की एकल-न्यायाधीश पीठ ने संभावित उम्मीदवारों के कुछ समूहों के खिलाफ नामांकन दाखिल करने के चरण में होने वाली घृणित हिंसा के दावों पर आपत्ति जताई और मौखिक रूप से टिप्पणी की, “हिंसा के इतने सारे उदाहरण? अगर खूनखराबा जारी रहा तो चुनाव रोक देना चाहिए।' अदालत का यह आदेश सीपीआई (एम), भाजपा और कांग्रेस जैसे विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई में आया है। इन याचिकाओं में हिंसा का आरोप लगाते हुए कहा गया है कि नामांकन वापस लेने और चुनाव दस्तावेजों में छेड़छाड़ के लिए "दबाव" बनाया जा रहा है। कथित तौर पर छेड़छाड़ की ऐसी एक घटना के कारण उलुबेरिया में कुछ उम्मीदवार कानून के तहत निर्देशित जांच प्रक्रिया को बायपास करने में सक्षम हो गए। आरोप है कि जब याचिकाकर्ताओं ने इसकी शिकायत क्षेत्र के प्रखंड विकास पदाधिकारी (बीडीओ) से की तो उन्हें बिना शिकायत दर्ज कराये ही लौटा दिया गया। यह देखते हुए कि बीडीओ राज्य का कर्मचारी है, कास्टिस सिन्हा ने कहा, "इस जांच का भार राज्य को सौंपना उचित नहीं होगा।" जस्टिस सिन्हा ने यह भी टिप्पणी की कि प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि पश्चिम बंगाल में राज्य चुनाव आयोग एक स्वतंत्र, निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव प्रक्रिया के संचालन की अपनी प्राथमिक जिम्मेदारियों को निभाने में सक्षम नहीं है। " एक पंचायत चुनाव में इतनी हिंसा। इतना विकार। इतनी सारी झड़पें। यह एक राज्य के लिए शर्म की बात है। इतनी अव्यवस्था क्यों है? राज्य चुनाव आयोग क्या कर रहा है?” सीबीआई को 7 जुलाई को अदालत के समक्ष अपनी रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया गया। पंचायत चुनाव आठ जुलाई को होना है। ये टिप्पणियां ऐसे समय में आई हैं जब मुख्य न्यायाधीश शिवगणमन और जस्टिस उदय कुमार की पीठ के समक्ष भाजपा के शुभेंदु अधिकारी और कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी द्वारा दायर अवमानना ​​आवेदनों का राज्य चुनाव आयोग को ही सामना करना पड़ रहा है। एसईसी के खिलाफ आरोप यह था कि उन्होंने 13 जून और 15 जून को अदालत के आदेशों का पालन नहीं किया। आज के आदेश में, डिवीजन बेंच ने एसईसी को और अधिक केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की माँग करने के लिए अतिरिक्त निर्देश जारी किए, जो कानून-व्यवस्था की स्थिति को प्रभावी ढंग से हल करने में मदद करेगा।

आपकी राय !

uniform civil code से कैसे होगा बीजेपी का फायदा ?

मौसम