खेल के मैदानों के बिना स्कूल नहीं हो सकते; छात्र अच्छे पर्यावरण के हकदार' : सुप्रीम कोर्ट ने अतिक्रमण हटाने के आदेश दिए
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सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक फैसले में कहा कि खेल के मैदान के बिना कोई स्कूल नहीं हो सकता। उक्त टिप्पणी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा में एक स्कूल के लिए खेल के मैदान के लिए आरक्षित स्थान से अनधिकृत कब्जे को हटाने का निर्देश दिया। जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस बीवी नागरत्ना की खंडपीठ ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के एक आदेश को नामंजूर कर दिया, जिसमें स्कूल के पास अतिक्रमण को नियमित करने की अनुमति दी गई थी।स्कूल मूल रिट याचिकाकर्ताओं की ओर से किए गए अनधिकृत निर्माण से घिरा हुआ है। इसलिए, स्कूल और खेल के मैदान के लिए आरक्षित भूमि पर अनधिकृत कब्जे को वैध करने का निर्देश नहीं दिया जा सकता है। खेल के मैदान के बिना कोई भी स्कूल नहीं हो सकता है।" पीठ हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ हरियाणा राज्य की दायर अपील पर सुनवाई कर रही थी। मामले में इस बात में कोई विवाद नहीं था कि विद्यालय के खेल के मैदान के लिए आरक्षित ग्राम पंचायत की भूमि पर निजी प्रतिवादियों का अनाधिकृत कब्जा था। हाईकोर्ट के समक्ष, उन्होंने बदले में जमीन के बराबर मूल्य देने की पेशकश की थी।हाईकोर्ट ने अधिकारियों को आवासीय भूखंडों से खाली क्षेत्रों को अतिक्रमित क्षेत्रों से अलग करने का निर्देश दिया ताकि उनका उपयोग स्कूल के लिए किया जा सके। हाईकोर्ट ने आगे अधिकारियों को निर्देश दिया कि या तो कब्जेदारों द्वारा पेश की गई वैकल्पिक भूमि को कब्जे वाले क्षेत्र की सीमा से दोगुना करने या बाजार मूल्य लेकर कब्जे को वैध बनाने के विकल्प का पता लगाएं। इस दृष्टिकोण को अस्वीकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा "हाईकोर्ट ने बाजार मूल्य के भुगतान पर मूल रिट याचिकाकर्ताओं द्वारा किए गए अनधिकृत कब्जे को वैध बनाने का निर्देश देकर बहुत गंभीर त्रुटि की है"।हाईकोर्ट के निर्देश को दरकिनार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अनधिकृत कब्जाधारियों को 12 महीने के भीतर परिसर खाली करने का निर्देश दिया, जिसमें विफल रहने पर अधिकारी कानून के तहत कठोर कदम उठा सकते हैं।