स्कूल फीस : सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगाई, जिसमें स्कूलों को कोविड-19 के दौरान भुगतान की गई 15% फीस वापस/एडजस्ट करने का निर्देश दिया था

May 04, 2023
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सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें उत्तर प्रदेश के स्कूलों को निर्देश दिया गया था कि वे 2020-21 के शैक्षणिक सत्र के दौरान COVID-19 अवधि के दौरान जब स्कूल बंद थे, तब वसूली गई अतिरिक्त फीस का 15% वापस करें या समायोजित (Adjust) करें। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एमएम सुंदरेश की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता लोटस वैली इंटरनेशनल स्कूल द्वारा दायर याचिका पर आज यह आदेश पारित किया। आदेश पर रोक लगाने का आग्रह करते हुए याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट श्याम दीवान ने कहा कि हाईकोर्ट ने उनकी या इस मामले में किसी अन्य निजी स्कूलों को सुने बिना निर्देश पारित किया था, इसलिए कानून की नजर में आदेश सही नहीं है। यह भी तर्क दिया गया कि हाईकोर्ट ने अपने निर्देश पारित करते हुए शीर्ष अदालत ने इंडियन स्कूल, जोधपुर बनाम राजस्थान राज्य मामले में जो कहा था, उससे परे जाकर प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन किया। इसके अतिरिक्त सीनियर एडवोकेट कविन गुलाटी, एडवोकेट अवि टंडन, मेघना टंडन और एमी टंडन के साथ 2023 की विशेष अनुमति याचिका (सिविल) डायरी संख्या 17070 में अन्य याचिकाकर्ता टैगोर पब्लिक स्कूल के लिए पेश हुए। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जनवरी में निजी स्कूलों को COVID महामारी अवधि (2020-21 सत्र) के दौरान छात्रों से वसूली गई अतिरिक्त फीस (कुल फीस का 15%) को समायोजित / वापस करने का निर्देश दिया था। हाईकोर्ट ने यह आदेश सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का पालन करते हुए पारित किया था, जिसमें इंडियन स्कूल मामले में 15% फीस वापस करने का निर्देश दिया था। सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ध्यान में रखते हुए और उसमें जारी निर्देशों का हवाला देते हुए हाईकोर्ट ने अपने आदेश में निजी स्कूल को निर्देश दिया कि यदि इंडियन स्कूल, जोधपुर बनाम राजस्थान स्टेट ऑफ राजस्थान एलएल 2021 एससी 240 के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित फीस से अधिक फीस का भुगतान किया गया है तो अभी भी इसे भविष्य में भुगतान किए जाने वाली फीस में एडजस्ट किया जा सकता है। हाईकोर्ट ने अपने आदेसह में कहा था कि जो छात्र पास आउट हो गए हैं या स्कूल छोड़ चुके हैं, उनके मामले में कोर्ट ने आदेश दिया है कि राशि की गणना कर उन छात्रों को लौटा दी जाए। कोर्ट के आदेश के मुताबिक यह कवायद दो महीने के भीतर करनी होगी। दूसरे शब्दों में हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार सभी स्कूलों को वर्ष 2020-21 के दौरान ली जाने वाली कुल फीस का 15% की गणना करनी होगी और इसे अगले शैक्षणिक सत्र में एडजस्ट करना होगा। मामले की अगली सुनवाई अगस्त में होगी।