निर्धारित कानूनी स्थिति है कि मेडिकल लापरवाही केवल फील्ड एक्सपर्ट द्वारा देखी जा सकती है: जम्मू एंड कश्मीर एंड एल हाईकोर्ट

Dec 27, 2022
Source: https://hindi.livelaw.in/

जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने सोमवार को सवाल का जवाब देते हुए कहा कि पेशेवर डॉक्टर की लापरवाही को कैसे मापा जाए, यह केवल एक्सपर्ट ही डॉक्टर की ओर से लापरवाही को प्रमाणित कर सकते हैं। जस्टिस वसीम सादिक नरगल ने यह टिप्पणी उस याचिका को खारिज करते हुए की जिसमें प्रतिवादियों को उसके पति की मृत्यु के लिए 20 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश देने की मांग की गई थी, जिसकी मृत्यु डॉक्टरों की लापरवाही के कारण हुई थी। इसलिए आपराधिक लापरवाही के लिए मामला दर्ज किया गया था।
उपलब्ध रिकॉर्ड का सहारा लेते हुए बेंच ने कहा कि सरकारी अस्पताल सरवाल में 10.01.2013 को जय कुमार के उपचार/ऑपरेशन के दौरान प्रतिवादी की ओर से कोई मेडिकल लापरवाही हुई या नहीं, यह पता लगाने के लिए डॉ. रमेश गुप्ता, चिकित्सा अधीक्षक, अस्पताल गांधी नगर, जम्मू (अध्यक्ष), डॉ. अनूप सिंह मन्हास, राज्य वेनेरियोलॉजिस्ट, डीएचएस, जम्मू (सदस्य) और डॉ. राकेश गुप्ता, सलाहकार सरकार सरकार की जांच समिति ने जांच की। इस समिति का गठन दिनांक 16.02.2013 के सरकारी आदेश द्वारा किया गया।
जांच रिपोर्ट के अध्ययन से पता चला कि जांच समिति ने कहा कि मरीज का इलाज मानक प्रोटोकॉल के अनुसार किया गया और उनके द्वारा इलाज करने वाले डॉक्टर की ओर से कोई लापरवाही नहीं पाई गई। पीठ के समक्ष विचारणीय प्रश्न यह था कि कैसे और किस सिद्धांत के आधार पर पेशेवर डॉक्टर की लापरवाही का फैसला किया जाए ताकि उसे उसके मेडिकल कृत्यों/सलाह के लिए उत्तरदायी ठहराया जा सके। जस्टिस नरगल ने मामले पर निर्णय देते हुए कहा कि केवल एक्सपर्ट ही यह प्रमाणित कर सकते हैं कि डॉक्टर की ओर से कोई लापरवाही हुई थी या नहीं और फील्ड एक्सपर्ट द्वारा की गई जांच रिपोर्टों से यह स्पष्ट है कि इलाज के दौरान प्रतिवादी की ओर से कोई लापरवाही नहीं हुई।
इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि एक्सपर्ट ने पहले ही प्रतिवादी की ओर से कोई लापरवाही नहीं पाई और वर्तमान मामले में प्रतिवादी के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर को भी कार्यवाही के साथ रद्द कर दिया गया, पीठ ने लापरवाही के आरोपों को गलत पाया। लापरवाही के मुद्दे पर विचार करते हुए पीठ ने जैकब मैथ्यू बनाम पंजाब राज्य और अन्य (2005) मामले में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों को रिकॉर्ड करना भी उचित समझा, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा था,
आपराधिक कानून के तहत लापरवाही के लिए मेडिकल पेशेवर पर मुकदमा चलाने के लिए यह दिखाया जाना चाहिए कि अभियुक्त ने कुछ ऐसा किया है या कुछ ऐसा करने में विफल रहा है, जो दिए गए तथ्यों और परिस्थितियों में किसी भी चिकित्सा पेशेवर ने अपनी सामान्य इंद्रियों और विवेक से किया होगा या करने में विफल रहा होगा। आरोपी डॉक्टर द्वारा लिया गया खतरा इस तरह का होना चाहिए कि चोट लगने की सबसे अधिक संभावना थी।" जस्टिस नरगल ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुपात को लागू करते हुए आगे कहा, "याचिकाकर्ताओं के दावे पर जब विशेषज्ञ निकायों द्वारा प्रस्तुत दो जांच रिपोर्टों के आलोक में विचार किया गया तो यह अस्वीकृति के योग्य है, क्योंकि दो विशेषज्ञ निकायों ने प्रतिवादी को दोषमुक्त कर दिया और उनकी ओर से कोई लापरवाही नहीं पाई गई। जब प्रतिवादी की लापरवाही साबित नहीं हुई और उन्हें क्षेत्र के विशेषज्ञों द्वारा क्लीन चिट दे दी गई तो प्रतिवादी की ओर से कथित लापरवाही के कारण मुआवजे का सवाल ही नहीं उठता।" पूर्वगामी कारणों से कोर्ट ने सभी संबंधित आवेदनों के साथ याचिका खारिज कर दी।