आजम खान ने यूपी में निष्पक्ष ट्रायल नहीं होने का आरोप लगाया; सुप्रीम कोर्ट ने केस को दूसरे राज्य में ट्रांसफर करने की मांग वाली उनकी याचिका खारिज की
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सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान के अपने मामलों को उत्तर प्रदेश राज्य से बाहर ट्रांसफर करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। इस मामले की सुनवाई सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस अब्दुल नज़ीर की बेंच ने की। आजम खान की ओर से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने तर्क दिया कि उनके खिलाफ दर्ज कई मामलों में यूपी राज्य में निष्पक्ष ट्रायल नहीं होगा।
कथित पक्षपात के प्वाइंट को स्पष्ट करने के लिए सिब्बल ने कहा कि अतिरिक्त सबूत पेश करने के लिए धारा 482 के तहत दायर याचिका हाईकोर्ट में लंबित थी तब भी उन्हें एक मामले में दोषी ठहराया गया था और सजा के परिणामस्वरूप उन्हें रामपुर सीट से हाथ धोना पड़ा। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य में उनके खिलाफ दर्ज सैकड़ों एफआईआर से खान को परेशान किया जा रहा है। उन्होंने तर्क दिया कि पुलिस द्वारा उनके खिलाफ जाली दस्तावेज पेश किए जा रहे हैं और ट्रायल कोर्ट उनकी आपत्तियों पर विचार किए बिना मामले में आगे बढ़ रही है।
हालांकि, पीठ इन कारणों को मामलों को ट्रांसफर करने के लिए पर्याप्त नहीं माना। खंडपीठ ने कहा कि अगर खान किसी आदेश से असंतुष्ट हैं, तो वह इसे उच्च न्यायालयों के समक्ष चुनौती दे सकते हैं। पीठ ने कहा कि एक गलत आदेश पूर्वाग्रह का अनुमान लगाने और मुकदमे को राज्य से बाहर ट्रांसफर करने का आधार नहीं है। सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, "आप सीआरपीसी की धारा 482 के तहत इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं। आज सुनवाई हो रही है और गवाहों के बयान दर्ज किए जा रहे हैं। यह ट्रांसफर का आधार नहीं है। क्या आप इस आदेश को उच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती नहीं दे सकते? लेकिन आप कह रहे हैं कि वे राज्य में कहीं भी आपकी याचिका नहीं सुनेंगे! हम ट्रांसफर नहीं कर सकते।"
हालांकि, सीनियर एडवोकेट सिब्बल ने प्रस्तुत किया कि मामले को दूसरे जिले में ट्रांसफर करना सहायक नहीं होगा। सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, "जब हम ट्रांसफर करते हैं, तो हमें ट्रांसफर के लिए कहीं अधिक ठोस कारणों की आवश्यकता होती है। हम आपको हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने की स्वतंत्रता दे रहे हैं, लेकिन हम ट्रांसफर नहीं कर सकते।"