छत्तीसगढ़ ने पीएमएलए की धारा 50 और ईडी की शक्तियों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका वापस ली
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छत्तीसगढ़ ने बुधवार को संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत सुप्रीम कोर्ट में दायर एक रिट याचिका वापस ले ली। याचिका में धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 की धारा 50 और धन शोधन निवारण कानून द्वारा प्रदत्त प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की शक्तियों को चुनौती दी गई थी। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एसवीएन भट्टी की पीठ को आज याचिकाकर्ता-राज्य की ओर से पेश एक वकील ने बताया कि उन्हें छत्तीसगढ़ सरकार की याचिका वापस लेने के निर्देश प्राप्त हुआ है। याचिका वीएमजेड एसोसिएट्स के माध्यम से दायर की गई थी। जवाब में, पीठ ने याचिका को वापस लिया गया मानकर खारिज करते हुए एक संक्षिप्त आदेश सुनाया - "याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील का कहना है कि उन्हें वर्तमान रिट याचिका वापस लेने के निर्देश हैं। दिए गए बयान के मद्देनजर, याचिका वापस ली गई मानकर खारिज की जाती है।" इस साल की शुरुआत में, जस्टिस संजय किशन कौल की अगुवाई वाली पीठ कांग्रेस नेता गोविंद सिंह द्वारा कथित तौर पर किसी भी आपराधिक कार्यवाही का हिस्सा नहीं होने के बावजूद प्रवर्तन निदेशालय के समन को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करने के लिए सहमत हो गई थी। अपनी रिट याचिका में, सिंह ने धन शोधन निवारण अधिनियम की धारा 50 और 63 को चुनौती दी थी। उन्होंने यह तर्क दिया था कि ये प्रावधान ईडी अधिकारियों को व्यक्तियों को बुलाने और उनके बयान दर्ज करने की अनुमति देते हैं, जो कानूनी रूप से सत्य होने के लिए आवश्यक हैं, जो संविधान के अनुच्छेद 20(3) और 21 का उल्लंघन करते हैं। सिंह ने यह भी तर्क दिया कि इन धाराओं की वैधता पर सुप्रीम कोर्ट की एक बड़ी संवैधानिक पीठ द्वारा विचार किया जाना चाहिए, उन्होंने कहा कि धारा 50 और 63 की वैधता से संबंधित मुद्दों पर विजय मदनलाल चौधरी की पीठ द्वारा विचार नहीं किया गया था। संबंधित समाचार में, जस्टिस संजय किशन कौल ने कल बताया कि 2022 के विजय मदनलाल चौधरी फैसले पर पुनर्विचार की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई के लिए चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने एक विशेष पीठ का गठन किया गया था। उल्लेखनीय है मदनलाल चौधरी में प्रवर्तन निदेशालय की गिरफ्तारी, कुर्की और तलाशी और जब्ती की शक्तियों के साथ-साथ निर्दोषता के अनुमान, कड़ी जमानत शर्तों आदि से संबंधित पीएमएलए प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा गया था। विशेष पीठ में जस्टिस कौल, जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बेला त्रिवेदी शामिल हैं। पुनर्विचार याचिकाओं की सुनवाई 18 अक्टूबर से शुरू होगी।