सुप्रीम कोर्ट ने इंस्टाग्राम तस्वीर को लेकर सेंट जेवियर्स यूनिवर्सिटी से बर्खास्त प्रोफेसर की याचिका पर सुनवाई से इनकार किया

Jul 11, 2023
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सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सेंट जेवियर्स यूनिवर्सिटी, कोलकाता के पूर्व प्रोफेसर द्वारा दायर याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसे कथित तौर पर ग्रेजुएट स्टूडेंट के माता-पिता द्वारा उसके निजी इंस्टाग्राम अकाउंट पर उसकी तस्वीरों को लेकर शिकायत के बाद इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया था। पूर्व प्रोफेसर (याचिकाकर्ता) ने कलकत्ता हाईकोर्ट द्वारा पारित आदेश को चुनौती दी, जिसमें उनकी पहचान सार्वजनिक किए बिना गुमनाम रूप से रिट याचिका को आगे बढ़ाने की उनकी याचिका को खारिज कर दिया गया। जैसे ही मामले की सुनवाई शुरू हुई याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने स्थगन की मांग की। जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस राजेश बिंदल की खंडपीठ ने मामले को स्थगित करने के उनके अनुरोध को अस्वीकार करते हुए संकेत दिया कि वह याचिका पर विचार करने के इच्छुक नहीं हैं। हालांकि, बेंच इस मामले को पारित करने के लिए सहमत हो गई। आख़िरकार याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत से याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी। तदनुसार, बेंच ने दर्ज किया, "याचिका वापस ली गई मानकर खारिज कर दी गई"। जस्टिस कोहली ने मौखिक रूप से टिप्पणी की कि सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दायर याचिका तुच्छ याचिका है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि चूंकि हाईकोर्ट के समक्ष रिट याचिका सर्विस मामले से संबंधित है, इसलिए हाईकोर्ट के समक्ष कार्यवाही में अपना नाम प्रकट न करने के याचिकाकर्ता के अनुरोध को स्वीकार नहीं किया जा सकता। जस्टिस कोहली ने कहा, ''बिल्कुल तुच्छ याचिका। हमें नहीं पता कि हम इस पर कैसे विचार करेंगे। शुद्ध सर्विस मामले की स्थिति में कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न का रंग देना और कहना कि मेरा नाम हटा दें और इसका खुलासा न करें। ऐसा प्रतीत होता है कि हाईकोर्ट के समक्ष दायर रिट याचिका में याचिकाकर्ता ने अपने इस्तीफे से संबंधित आरोप लगाए हैं, जिसके बारे में उनका दावा है कि उन्हें मजबूर किया गया। प्रतीत होता है कि यह इस्तीफा ग्रेजुएट स्टूडेंट के माता-पिता द्वारा की गई शिकायत से संबंधित है, जिसने उसे अपने निजी इंस्टाग्राम अकाउंट पर याचिकाकर्ता की तस्वीरें देखते हुए पाया। अभिभावक के मुताबिक तस्वीरें आपत्तिजनक थीं। हाईकोर्ट के समक्ष कार्यवाही में याचिकाकर्ता ने अदालत से उसकी गोपनीयता बनाए रखने के लिए उसकी पहचान का खुलासा न करने का अनुरोध किया। इसके लिए अनुरोध को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि यद्यपि कई क़ानून जीवित महिला के नाम का खुलासा किए बिना मुकदमा चलाने का प्रावधान करते हैं, लेकिन अदालतों को यथासंभव पारदर्शी तरीके से कार्य करने की आवश्यकता है। इस प्रकार, वादी की पहचान का खुलासा न करना नियम नहीं बल्कि अपवाद है। इसमें आगे कहा गया, “वर्तमान मामले में याचिकाकर्ता की मुख्य शिकायत संबंधित पद से उनके इस्तीफे से संबंधित है। यह सर्विस मामला है। मेरे विचार में याचिकाकर्ता द्वारा अपना नाम बताए बिना इस रिट याचिका को आगे बढ़ाने का कोई औचित्य नहीं दिखाया गया।'' पहचान उजागर न करने के अनुरोध को खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को उसी कार्रवाई के लिए नई रिट याचिका दायर करने की स्वतंत्रता दी।