सुप्रीम कोर्ट मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आप नेता सत्येंद्र जैन की जमानत याचिका पर 26 मई को सुनवाई करेगा
Source: https://hindi.livelaw.in/
सुप्रीम कोर्ट आम आदमी पार्टी (आप) के नेता और दिल्ली सरकार के पूर्व कैबिनेट मंत्री सत्येंद्र जैन की मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत याचिका पर 26 मई को सुनवाई करेगा। जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस संजय करोल की अवकाश खंडपीठ के समक्ष यह मामला सूचीबद्ध किया गया है। जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस हिमा कोहली की खंडपीठ ने दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा पिछले साल उन्हें जमानत देने से इनकार करने के फैसले को चुनौती देने वाली जैन की याचिका पर विचार करते हुए चार दिन पहले जैन की जमानत याचिका पर नोटिस जारी किया था। वह मई 2022 से सलाखों के पीछे है, अपने मुकदमे का इंतजार कर रहे हैं। 2017 में केंद्रीय जांच ब्यूरो ने जैन और अन्य पर 2010-2012 के दौरान 11.78 करोड़ रुपये और 2015-16 के दौरान 4.63 करोड़ रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाया, जब वह दिल्ली सरकार में मंत्री बने थे। यह आरोप लगाया गया कि मनी लॉन्ड्रिंग की कवायद तीन कंपनियों प्रयास इंफोसल्यूशन, इंडो मेटालिम्पेक्स, अकिंचन डेवलपर्स और मंगलायतन प्रोजेक्ट्स के माध्यम से की गई। जैन ने कथित तौर पर अपने सहयोगियों द्वारा आवास प्रविष्टियों के लिए कोलकाता स्थित कुछ विभिन्न शेल कंपनियों के एंट्री ऑपरेटरों को पैसे दिए। इसके बाद एंट्री ऑपरेटरों ने जैन से जुड़ी कंपनियों में शेयरों के माध्यम से 'शेल कंपनियों के माध्यम से लेयरिंग' करने के बाद निवेश के रूप में पैसे को कथित तौर पर फिर से भेज दिया। प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दर्ज किया गया मामला सीबीआई की शिकायत पर आधारित है और आरोप लगाया गया कि जैन ने 2011 और 2012 में प्रयास इंफोसोल्यूशंस द्वारा कृषि भूमि की खरीद के लिए कन्वेयंस डीड पर हस्ताक्षर किए। केंद्रीय एजेंसी ने आगे आरोप लगाया कि भूमि बाद में परिवार के सदस्यों को हस्तांतरित कर दी गई। जैन के सहयोगियों ने मनी ट्रांसफर के बारे में जानकारी होने से इनकार किया। पिछले साल ईडी ने 4.81 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की थी। जैन और अन्य के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कथित तौर पर ये संपत्तियां पांच कंपनियों अकिंचन डेवलपर्स, इंडो मेटल इंपेक्स, प्रयास इंफोसोल्यूशंस, मंगलायतन प्रोजेक्ट्स और जे.जे. आइडियल एस्टेट आदि और अन्य से जुड़ी है। आम आदमी पार्टी के नेता 30 मई, 2022 से मनी लॉन्ड्रिंग मामले में हिरासत में हैं। पिछले साल नवंबर में पूर्व कैबिनेट मंत्री की जमानत अर्जी को एक ट्रायल कोर्ट ने खारिज कर दिया था, जिसमें कहा गया कि प्रथम दृष्टया यह रिकॉर्ड में आया है कि जैन कोलकाता-आधारित एंट्री ऑपरेटर को नकद देकर अपराध की आय को छिपाने में 'वास्तव में शामिल' थे। उसके बाद शेयरों की बिक्री के खिलाफ तीन कंपनियों में नकदी लाना, यह दिखाने के लिए कि इन तीन कंपनियों की आय बेदाग थी। इसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने पिछले महीने भी उनकी जमानत इस आधार पर खारिज कर दी थी कि वह प्रभावशाली व्यक्ति हैं और सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने की क्षमता रखते हैं। इस प्रकार, धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के तहत दो शर्तों को पूरा नहीं किया गया। जस्टिस दिनेश कुमार शर्मा ने सह-आरोपी वैभव जैन और अंकुश जैन की भी जमानत याचिका खारिज कर दी।