सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप : सुप्रीम कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

Jun 05, 2023
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सुप्रीम कोर्ट में पिछले सप्ताह (29 मई, 2023 से 02 जून, 2023 तक) तक क्या कुछ हुआ, जानने के लिए देखते हैं सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप। पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र। सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को आयोजित एक विशेष सुनवाई में इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा पारित एक आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें लखनऊ यूनिवर्सिटी के ज्योतिष विभाग के प्रमुख को यह निर्धारित करने का निर्देश दिया गया था कि कथित बलात्कार पीड़िता उसकी कुंडली की जांच के अनुसार मंगली/मांगलिक है या नहीं। जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस पंकज मित्तल की अवकाश पीठ ने हाईकोर्ट के आदेश का स्वत: संज्ञान लेते हुए यह आदेश पारित किया। सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि संवैधानिक न्यायालय न्यायिक पुनर्विचार की शक्ति के प्रयोग में मामले का फैसला ऐसे नहीं कर सकता कि जैसे यह मामले का पहला चरण हो, कि जैसे जांच अभी भी की जा रही हो और जांच रिपोर्ट तैयार की जा रही हो। एक अनुशासनात्मक कार्यवाही में न्यायिक पुनर्विचार के चरण में साक्ष्यों की फिर से सराहना नहीं हो सकती हैअनुशासनात्मक कार्यवाही में न्यायिक पुनर्विचार के चरण में साक्ष्यों की फिर से सराहना नहीं हो सकती हैजैसे कि आपराधिक मुकदमे में अगली ऊंची अदालत सजा की फिर से जांच कर रही हो। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में ओडिशा में एक सेवानिवृत्त न्यायिक अधिकारी के खिलाफ दायर चार्जशीट को खारिज कर दिया। सेवानिवृत्त न्यायिक अधिकारी कार्यवाहकों के चयन की प्रक्रिया में की गई कथित अनियमितताओं के लिए विभागीय कार्यवाही का सामना कर रहे थे। जस्टिस बेला त्रिवेदी और जस्टिस अजय रस्तोगी की पीठ ने आगे कहा कि न्यायिक अधिकारी सभी सेवानिवृत्ति लाभों के हकदार हैं। भारत के विधि आयोग ने परिसीमन अधिनियम, 1963 के अनुच्छेद 64, 65, 111, या 112 के तहत प्रदान की गई सीमा अवधि को बढ़ाने के खिलाफ सिफारिश की है, जो प्रतिकूल कब्जे पर कानून को समाहित करता है। कर्नाटक हाईकोर्टके सेवानिवृत्त न्यायाधीश रितु राज अवस्थी की अध्यक्षता वाले आयोग ने 'प्रतिकूल कब्जे पर कानून' पर अपनी 280वीं रिपोर्ट में कहा है कि 'प्रतिकूल कब्जे से संबंधित कानून में किसी भी बदलाव को पेश करने का कोई औचित्य नहीं है।' भारत के विधि आयोग ने महत्वपूर्ण घटनाक्रम में राजद्रोह कानून (भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए) को पूरी तरह से निरस्त करने के बजाय इसमें कुछ संशोधनों के साथ प्रावधान को बनाए रखने का प्रस्ताव दिया। विधि आयोग ने अपनी 279वीं रिपोर्ट में कहा कि यह "सुविचारित मत है कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में धारा I24A को बनाए रखने की आवश्यकता है। हालांकि कुछ संशोधन, जैसा कि सुझाव दिया गया है, इसमें केदार नाथ सिंह बनाम बिहार राज्य [एआईआर 1962 एससी 9551] के अनुपात निर्णय को शामिल करके पेश किया जा सकता है, जिससे प्रावधान के उपयोग के बारे में अधिक स्पष्टता लाया जा सके।" सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उत्तराखंड हाईकोर्ट के एक अंतरिम आदेश को चुनौती दी गई थी। हाईकोर्ट ने एक मामले में नोटिस जारी करते समय पक्षकारों की श्रेणी से कुछ प्रतिवादियों को हटा दिया था। हाईकोर्ट के समक्ष याचिका तत्कालीन सरकार द्वारा 2001 और 2022 के बीच की अवधि के दौरान विधान सभा में 396 कर्मचारियों और अधिकारियों की कथित 'अवैध' नियुक्ति के लिए उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष के आदेश पर की जा रही जांच से संबंधित है। 10 जनवरी को हाईकोर्ट ने नोटिस जारी करते समय पक्षकारों की श्रेणी से कुछ प्रतिवादियों को हटाने का आदेश दिया था। न्यायाधीशों द्वारा सेवानिवृत्ति के बाद दूसरे दायित्वों को स्वीकार करने की बढ़ती आलोचना के बीच सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की गई है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के किसी भी सेवानिवृत्त न्यायाधीश द्वारा राजनीतिक नियुक्ति स्वीकार करने से पहले दो साल की 'कूलिंग ऑफ' अवधि की मांग की गई है। याचिका बॉम्बे लॉयर्स एसोसिएशन द्वारा "न्यायपालिका की स्वतंत्रता, कानून के शासन, और तर्कशीलता के सिद्धांतों को बनाए रखने" के साथ-साथ "लोकतांत्रिक सिद्धांतों और भारतीय संविधान के मूल उद्देश्य और लक्ष्य को बचाने" के उद्देश्य से ये याचिका दायर की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में कहा कि एक अभियुक्त को केवल इस आधार पर जमानत से वंचित नहीं किया जा सकता है कि सह-आरोपी ने आत्मसमर्पण नहीं किया है। न्यायालय एक आरोपी द्वारा दायर जमानत याचिका पर विचार कर रहा था, जो नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सबस्टेंस एक्ट, 1985 (एनडीपीएस एक्ट) के आरोपों के तहत हिरासत में था। सुप्रीम कोर्ट यह नोट किया कि जमानत से इनकार करने के लिए हाईकोर्ट के पास एकमात्र कारण यह था कि सह-आरोपी, जो जमानत पर रिहा हुआ था, उसने आत्मसमर्पण नहीं किया है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को टिप्पणी की कि किसी के लिए जेल में विलासिता की उम्मीद करना असंभव है। जस्टिस बेला त्रिवेदी की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने वित्तीय धोखाधड़ी के मामले में अस्थायी जमानत की मांग करने वाली हर्ष देव ठाकुर की याचिका पर सुनवाई करते हुए मौखिक रूप से कहा, "जेल में किसी के पास लग्जरी (विलासिता) नहीं हो सकती।" सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि प्राथमिक विद्यालय शिक्षक के रूप में भर्ती के उद्देश्य से अतिरिक्त/प्रतीक्षा सूची (वेटिंग/ एडिशनल लिस्ट) में एक उम्मीदवार के नाम का प्रकाशन करना, ऐसे उम्मीदवार के पक्ष में नियुक्त होने का कोई अधिकार नहीं होगा। कर्नाटक शिक्षा विभाग सेवा (लोक निर्देश विभाग) (भर्ती) नियम, 1967 की प्रविष्टि 66, जो अतिरिक्त सूची के बारे में बात करती है, नियुक्तियों के लिए राज्य को अनिवार्य रूप से बाध्य नहीं करती है। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्णय को बरकरार रखा कि तीसरे पक्ष से संबंधित किराये की दुकान के रूप में निर्णीत ऋणी द्वारा दी गई सुरक्षा, जिसका ज़मानत किरायेदार है, उसको कानून में सुरक्षा के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता। जस्टिस के.एम. जोसेफ और जस्टिस हृषिकेश रॉय हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील पर विचार कर रहे है, जिसने ट्रायल कोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर रिट याचिका को खारिज कर दिया, जहां बाद वाले ने अपीलकर्ताओं द्वारा प्रदान की गई ज़मानत खारिज कर दी और प्रांतीय लघु वाद न्यायालय अधिनियम, 1887 की धारा 17 के तहत वाद न्यायालय द्वारा पारित एकपक्षीय डिक्री के विरुद्ध दायर आवेदन को खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक नाबालिग लड़की के कथित यौन उत्पीड़न और हत्या के लिए एक दोषी को दी गई मौत की सजा को रद्द कर दिया और कहा कि नमूने एकत्र किए जाने पर बिना किसी देरी के प्रयोगशाला में भेजे जाएंगे ताकि संदूषण की संभावना और क्षरण की सहवर्ती संभावना से इनकार किया जा सकता है। पीठ ने आगे कहा कि सीआरपीसी की धारा 53ए का अनुपालन किया जाएगा और एकत्र किए गए नमूनों की 'चेन ऑफ कस्टडी' को बनाए रखा जाएगा।