इलेक्टोरल बॉन्ड की कानूनी वैधता पर आज सुप्रीम कोर्ट सुनायेगा फैसला, जानिए क्या है पूरा मामला?
Supreme Court : साल 2018 में केंद्र सरकार ने एक बांड योजना की शुरुआत की थी, इसे राजनीतिक दलों को मिलने वाली फंडिंग में पारदर्शिता लाने के प्रयासों के तहत पेश किया गया था. साथ ही चुनावी बांड की वैधता पर चुनौती दी गई थी.
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केंद्र सरकार मे 2018 में बांड योजना की शुरुआत की थी, इसे राजनीतिक दलों को मिलने वाली फंडिंग में पारदर्शिता लाने के प्रयासों के तहत पेश किया गया था. इसे राजनीतिक दलों को मिलने वाली फंडिंग में पारदर्शिता लाने के प्रयासों के तहत पेश किया गया था.
राजनीतिक दलों को दिए जाने वाले नकद चंदे के विकल्प के रूप में देखा गया था. चुनावी बांड स्टेट बैंक की कुछ चुनिंगा शाखाओं में मिलते हैं कोई भी नागरिक, कंपनी संस्था इस बांड को खरीद सकती है. ये बांड 1000, 10 हजार, 1 लाख और 1 करोड़ रुपये तक के हो सकते हैं कोई भी व्यक्ति जिस पार्टी को चंदा देना चाहता है वह ये चुनावी बांड खरीदकर राजनीतिक पार्टी को दे सकते हैं खास बात ये कि बांड में चंदा देने वाले को अपना नाम नहीं लिखना पड़ता है.
इन बांड को केवल वही राजनीतिक दल प्राप्त कर सकता है जो लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 29ए के तहत रजिस्टर्ड हैं और जिन्हें पिछले लोकसभा या विधानसभा चुनाव में एक प्रतिशत से अधिक वोट मिले हों.
rt: सुप्रीम कोर्ट आज एक अहम फैसला सुनाने वाला है. राजनीतिक दलों को गुमनाम रूप चंदा देने की अनुमति देने वाली इलेक्टोरल बॉन्ड या चुनावी बॉन्ड योजना की कानूनी वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट फैसला सुनाएगा, इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ से पिछले साल 31 अक्टूबर से नियमित सुनवाई शुरू की थी, कोर्ट ने तीन लगातार इस मामले पर सुनवाई की, मामले की सुनवाई प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूंड़ की अध्यक्षता वाली पांच-सदस्यीय संविधान पीठ ने की.