"उन्हें इस उम्र में सिविल कोर्ट नहीं भेजा जा सकता": कलकत्ता हाईकोर्ट ने बेटे और बहू द्वारा कथित तौर पर घर से निकाले गए माता-पिता को राहत दी
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कलकत्ता हाईकोर्ट ने जोड़े द्वारा दायर रिट याचिका स्वीकार कर ली। इस जोड़े ने दावा किया था कि उन्हें उनके बेटे और बहू (प्रतिवादी) ने उनके घर से बाहर निकाल दिया है। याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि संपत्ति पर उनका अधिकार और हित है और प्रतिवादी काफी समय से उन्हें प्रताड़ित कर रहे हैं, डरा रहे हैं। यहां तक कि उन पर हमला भी कर रहे हैं। अंततः उन्हें घर से बाहर निकाल दिया। जस्टिस जय सेनगुप्ता की एकल पीठ ने याचिकाकर्ताओं को उनके घर में बहाल करने में कहा, ऐसा प्रतीत होता है कि हालांकि याचिकाकर्ता नंबर 2 वर्तमान में उस संपत्ति का मालिक है, जो मूल रूप से याचिकाकर्ता नंबर 1 के स्वामित्व में है। उन दोनों को कथित तौर पर उनके बेटे और बहू ने बेदखल कर दिया। ऐसे आरोपों की सत्यता के बावजूद, संपत्ति के मालिकों को वहां रहने का पूरा अधिकार है और उनके बेटे और बहू ज्यादा से ज्यादा लाइसेंसधारी के रूप में वहां रह सकते हैं। इस उम्र में याचिकाकर्ताओं को इस संबंध में आवश्यक राहत प्राप्त करने के लिए सिविल कोर्ट में नहीं भेजा जा सकता। राज्य की ओर से यह तर्क दिया गया कि माता-पिता और उनके बेटे-बहू के बीच का विवाद पारिवारिक विवाद की प्रकृति का है, जिसमें दोनों तरफ से मुकदमे और जवाबी मुकदमे चल रहे हैं। हालांकि, कोर्ट ने कहा कि न्याय के हित में वह पुलिस को उन्हें घर लौटने के लिए पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था देने का निर्देश देने को तैयार है। यह निष्कर्ष निकाला गया कि पुलिस भी इलाके पर कड़ी निगरानी रखेगी और यह सुनिश्चित करेगी कि कोई शांति भंग न हो।