UP फायर एंड इमरजेंसी सर्विस अध्यादेश कैबिनेट से मंजूर, बड़े भवनों में फायर सुरक्षा अधिकारी की तैनाती अनिवार्य
लखनऊ के लेवाना होटल में हुए भीषण अग्निकांड के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रदेश में जल्द अग्निशमन सुरक्षा को लेकर और सख्त कानून बनाने की जो तैयारी तेज की गई थी, उसे बुधवार को मूर्तरूप देने की दिशा में बड़ा कदम बढ़ाया गया है। कैबिनेट ने उत्तर प्रदेश फायर एंड इमरजेंसी सर्विस अध्यादेश 2022 को स्वीकृति प्रदान कर दी है। इसे भारत सरकार द्वारा प्रसारित माडल फायर एंड इमरजेंसी बिल 2019 को आधार बनाकर तैयार किया गया है।
इसके तहत अब 15 मीटर से ऊंची इमारतों के अलावा स्कूल-कालेज, माल, औद्योगिक इकाइयों व अन्य महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों में अग्निशमन उपकरणों के पुख्ता प्रबंधों के साथ वहां फायर सुरक्षा अधिकारी की तैनाती अनिवार्य होगी। अग्निशमन अधिकारियों को गड़बड़ी पाए जाने पर किसी भवन को सील करने का अधिकार भी होगा। लापरवाह दमकल कर्मियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई भी व्यवस्था होगी।
साथ ही अब किसी भवन में आग लगने से होेने वाली जनहानि की स्थिति में पीड़ित परिवार काे मुआवजा भवन स्वामी अथवा उस भवन का उपयोग कर रहे व्यक्ति को देना होगा। हालांकि अभी राज्य सरकार कई नियम तय करेगी, जिसके बाद अध्यादेश को लागू किया जाएगा।
राज्य सरकार केंद्र के बिल को कुछ बदलावों के साथ लागू करेगी। इसके लिए डीजी फायर सर्विस ने विस्तृत प्रस्ताव सरकार को भेजा था। जिसके तहत बिल के कुल 11 अध्याय समेत 69 धाराओं में से 54 धाराओं को यथावत स्वीकार किया गया है। जबकि 15 धाराओं में संशोधन किया गया है। केंद्र के बिल में अग्निशमन निदेशक को कई अधिकार दिए गए हैं, जो फायर सर्विस का डीआइजी स्तर का अधिकारी होता है।
प्रदेश में फायर सर्विस की कमान आइपीएस अधिकारी संभालते हैं। यहां डीजी अथवा एडीजी स्तर के अधिकारी दमकल विभाग के मुखिया होते हैं, जिन्हें निदेशक के स्थान पर 15 धाराओं के तहत शक्तियां प्रदान की गई हैं। उल्लेखनीय है कि पूरे देश में फायर सर्विस अधिनियम में एकरूपता के लिए केंद्र सरकार ने माडल फायर सर्विस बिल- 1958 तथा संशोधित माडल फायर एंड इमरजेंसी बिल- 2019 सभी राज्य सरकारों को अंगीकृत करने के लिए भेजा था।
वर्तमान में प्रदेश में फायर प्रिवेंशन एंड फायर सेफ्टी एक्ट-2005 लागू है। नया अध्यादेश लागू होने के बाद फायर सर्विस के उपकरणों में बढ़ोत्तरी के साथ ही उसके इमरजेंसी रिस्पांस को भी बढ़ाया जाएगा। किसी आपदा अथवा आपात स्थिति में एनडीआरएफ व एसडीआरएफ के पहुंचने से पहले दमकल विभाग की भूमिका होगी। इसके लिए उनकी जनशक्ति व संसाधान बढ़ाए जाएंगे। विशेष प्रशिक्षण भी प्रदान कराया जाएगा। जिससे आपदा अथवा आपात स्थिति में जनहानि काे बचाया जा सके।
डीजी फायर सर्विस अविनाश चंद्र का कहना है कि नये अध्यादेश में अग्नि सुरक्षा उपायों की अनदेखी व नियमोें का उल्लंघन करने वालों के विरुद्ध भारी जुर्माने से लेकर जेल भेजे जाने का भी प्राविधान होगा। दमकल अधिकारी दिन में तीन घंटे के नोटिस में किसी भवन का निरीक्षण कर सकेंगे। बचाव कार्य के दौरान उन्हें अतिक्रमण हटाने का भी अधिकार होगा।
निर्धारित अवधि में फायर सुरक्षा अधिकारी की तैनाती न किए जाने पर जुर्माने का भी प्राविधान होगा। फायर सुरक्षा अधिकारी के लिए विशेष प्रशिक्षण की भी अनिवार्यता होगी। उन्होंने बताया कि थर्ड पार्टी फायर आडिट की भी व्यवस्था होगी। फायर विभाग की एनओसी को फायर सुरक्षा प्रमाणपत्र के नाम से जाना जाएगा। दमकल विभाग से अधिकृत कंपनियों से फायर आडिट कराने के उपरांत उसकी रिपोर्ट पर विभाग एक माह के भीतर फायर सुरक्षा प्रमाणपत्र जारी करेगा।