केंद्र सरकार का दावा-नोटबंदी के बाद घट गया नकली नोटों का सर्कुलेशन
केंद्र सरकार का दावा-नोटबंदी के बाद घट गया नकली नोटों का सर्कुलेशन
नोटबंदी के बाद देश में नकली भारतीय नोटों के सर्कुलेशन में कमी आई है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में यह जानकारी दी है. उन्होंने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों और राष्ट्रीय एजेंसियों एवं राज्यों की पुलिस द्वारा नकली नोटों (FICN) की जब्ती के आंकड़ों से इसका संकेत मिला है.
बांग्लादेश से अब भी आ रहे नकली नोट
लोकसभा में सांसद खगेन मुर्मू और विनोद सोनकर के सवालों के जवाब में वित्त मंत्री ने कहा, 'पश्चिम बंगाल पुलिस ने बताया है कि भारत-बांग्लादेश सीमा, खासकर मालदा इलाके से अब भी नकली नोटों का प्रवाह जारी है, लेकिन यह निम्नस्तरीय और कंप्यूटर से तैयार नोट होते हैं.'
मोदी सरकार द्वारा 8 नवंबर, 2016 को किए गए नोटबंदी को सही ठहराते हुए वित्त मंत्री ने कहा, '2019 की शुरुआत तक देखें तो 2000 या 500 के उच्च गुणवत्ता के नकली नोटों की जब्ती नहीं हुई है. इनसे अब तक कोई ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है.'
उन्होंने कहा कि सरकार ने देश में नकली भारतीय नोटों की तस्करी और सर्कुलेशन को रोकने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं.
उन्होंन कहा कि गृह मंत्रालय के द्वारा एक फेक इंडियन करेंसी नोट्स कोऑर्डिनेशन ग्रुप (FCORD) बनाया गया है, ताकि केंद्र एवं राज्य की सुरक्षा एजेंसियों के साथ खुफिया जानकारियां साझा की जा सकें. उन्होंने कहा, 'एजेंसियों की रिपोर्ट के अनुसार, ऐसे कई उदाहरण देखे गए हैं, जब नकली पड़ोसी देशों से नकली नोट तस्करी के द्वारा आए हैं.'
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इसी प्रकार नेशनल इनवेस्टीगेशन एजेंसी (NIA) में एक टेरर फंडिंग ऐंड फेक करेंसी सेल (TFFC) बनाया गया है ताकि टेरर फंडिग और नकली नोटों के मामलों को देखा जा सके.
गौरतलब है कि भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान 5.22 लाख नकली नोट पकड़े गए. यह साल 2016-17 (जिस साल नोटबंदी का ऐलान हुआ था) के मुकाबले 31.4 फीसदी कम है. इसमें से करीब 3.34 लाख नोटों की पहचान बैंकों के द्वारा, जबकि बाकी नोटों की पहचान रिजर्व बैंक द्वारा की गई है. साल 2017-18 में 2000 के नकली नोटों की पहचान 28 गुना बढ़कर 17,929 तक पहुंच गई.
नोटबंदी से इस फायदे का भी किया गया था दावा
नोटबंदी से पहले देश में सीमापार से नकली करेंसी के प्रवाह की गंभीर समस्या थी. नकली करेंसी जिसके हाथ पहुंचती थी उसे उतने मूल्य का तुरंत नुकसान उठाना पड़ता था. वहीं सरकार को भी इसके रोकथाम के लिए बड़े नेटवर्क का सहारा लेना पड़ता था. उम्मीद थी कि नई करेंसी के सुरक्षा मानक ज्यादा पुख्ता होने से अगले कई वर्षों तक अर्थव्यवस्था नकली करेंसी से सुरक्षित रहेगी.
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