अगर बच्चों को वाहन चलाने की देते हैं इजाजत तो हो जाएं सावधान, अभिभावकों को जाना पड़ सकता है जेल, जानिए खास बातें

Aug 19, 2019

अगर बच्चों को वाहन चलाने की देते हैं इजाजत तो हो जाएं सावधान, अभिभावकों को जाना पड़ सकता है जेल, जानिए खास बातें

मोटर वाहन संशोधन अधिनियम 2019 को 9 अगस्त 2019 को राष्ट्रपति की सहमति प्राप्त हुई। इस अधिनियम में बच्चों द्वारा वाहनों का उपयोग करने की प्रवृत्ति को रोकने के लिए कड़े प्रावधान शामिल किए गए हैं। नव सम्मिलित धारा 199A के अनुसार जहां एक किशोर द्वारा मोटर वाहन अपराध किया गया है, ऐसे किशोर के माता-पिता या अभिभावक या मोटर वाहन के मालिक को कानून के उल्लंघन का दोषी माना जाएगा और वह तदनुसार कानूनी कार्यवाही के लिए उत्तरदायी होगा और उसे दंडित किया जायेगा। इस धारा के स्पष्टीकरण में यह कहा गया है कि न्यायालय यह मान लेगा कि किशोर द्वारा मोटर वाहन का उपयोग ऐसे किशोर के संरक्षक या मोटर वाहन के मालिक की सहमति से किया गया था। किशोर द्वारा अपराध में शामिल मोटर वाहन का पंजीकरण 12 महीने की अवधि के लिए रद्द कर दिया जाएगा। पेनल्टी के अलावा ऐसे वाहन का संरक्षक या मालिक, 3 वर्ष तक की कारावास की सजा के लिए उत्तरदायी होगा और उसपर 25,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया जायेगा। इसके अलावा किशोर के खिलाफ, किशोर न्याय अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार कार्यवाही की जाएगी। जिस किशोर ने ऐसा अपराध किया है, वह 25 वर्ष की आयु तक ड्राइविंग लाइसेंस या लर्नर लाइसेंस प्राप्त करने का पात्र नहीं होगा। यदि अभिभावक या मालिक यह साबित करते हैं कि वह अपराध उनके ज्ञान के बिना किया गया था या उन्होंने इस तरह के अपराध के कमीशन को रोकने के लिए उचित कदम उठाए थे, तो वे सजा से बच सकते हैं। संसद में विधेयक की चर्चा के दौरान, कुछ सदस्यों ने यह कहते हुए इस प्रावधान के बारे में अपनी असहमति दर्ज व्यक्त की कि अधिनियम में दंड बहुत कठोर थे। कुछ सदस्यों ने यह कहा कि माता-पिता के लिए अपने बच्चों के कृत्यों की निगरानी करना हमेशा संभव नहीं होता है। हालांकि, केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने यह कहा कि बच्चों की वजह से होने वाले हादसों के मामले बढ़ रहे हैं। मंत्री ने कहा कि यह कड़ी सजा माता-पिता की निगरानी को सुनिश्चित करके ऐसी घटनाओं को रोकने में मदद करेंगी। "199 A किशोरों द्वारा अपराध (1) जहां इस अधिनियम के तहत एक किशोर द्वारा अपराध किया गया है, ऐसे किशोर के अभिभावक या मोटर वाहन के मालिक को कानून के उल्लंघन का दोषी माना जाएगा और उसके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी और उसे तदनुसार दंडित किया जाएगा। हालांकि इस उप-धारा के अंतर्गत ऐसे अभिभावक या मालिक को इस अधिनियम में दी गई किसी भी सजा के लिए उत्तरदायी नहीं ठहराएगा जाएगा, यदि वह यह साबित करता है कि किया गया अपराध उसके ज्ञान के बिना किया गया था या उसने इस तरह के अपराध को रोकने के लिए उचित सतर्कता बरती थी। स्पष्टीकरण- इस खंड के प्रयोजनों के लिए, अदालत यह मान लेगी 

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कि किशोर द्वारा मोटर वाहन का उपयोग ऐसे किशोर के अभिभावक या मोटर वाहन के मालिक, जैसा भी मामला हो, की सहमति से हुआ था। (2) उप-धारा (1) के तहत जुर्माने के अलावा, ऐसे अभिभावक या मालिक को ऐसी अवधि के लिए कारावास की सजा दी जाएगी जो 3 साल तक हो सकती है और 25000 हजार रुपये का जुर्माने लगाया जाएगा। (3) उप-धारा (1) और उप-धारा (2) के प्रावधान ऐसे अभिभावक या वाहन के मालिक पर लागू नहीं होंगे, यदि अपराध करने वाले किशोर को धारा 8 के तहत लर्नर्स लाइसेंस दिया गया था या ड्राइविंग लाइसेंस दिया गया था और वह उस मोटर वाहन का संचालन कर रहा था, जिस मोटर वाहन को संचालित करने के लिए उस किशोर को लाइसेंस दिया गया था। (4) जहां इस अधिनियम के तहत एक किशोर द्वारा अपराध किया गया है, वहां अपराध के कमीशन में उपयोग किए जाने वाले मोटर वाहन का पंजीकरण 12 महीने की अवधि के लिए रद्द कर दिया जाएगा। (5) जहाँ इस अधिनियम के तहत एक किशोर द्वारा अपराध किया गया है, तो धारा 4 या धारा 7 के होते हुए भी (notwithstanding), ऐसा किशोर धारा 9 के तहत ड्राइविंग लाइसेंस या धारा 8 के तहत लर्नर्स लाइसेंस प्राप्त करने का पात्र तब तक नहीं होगा जब तक कि वह किशोर 25 वर्ष की आयु न प्राप्त करले। (6) जहां इस अधिनियम के तहत एक किशोर द्वारा अपराध किया गया है, तो ऐसे किशोर को ऐसे जुर्माने के साथ दंडनीय किया जाएगा जैसा कि इस अधिनियम में प्रदान किया गया है, जबकि किशोर सुरक्षा अधिनियम, 2000 के प्रावधानों के अनुसार उसकी हिरासत की किसी भी सजा को संशोधित किया जा सकता है।

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