नेता हैं यमुना की बदहाली के सबसे बड़े ‘अपराधी’

May 25, 2019

नेता हैं यमुना की बदहाली के सबसे बड़े ‘अपराधी’

उद्योग विहार (जून 2019)- पलवल।
पिछले सात दिनों में सोनीपत से दिल्ली और फरीदाबाद के बीच यमुना किनारे बसे गांवों, मोहल्लों और कस्बों के लोगों से यमुना की हालत और सरकार द्वारा यमुना किनारे बसे गांवों, मोहल्लों और कस्बों के लोगों से यमुना की हालत और सरकार द्वारा यमुना सफाई को लेकर किए गए कार्यों की पड़ताल की। चुनावी माहौल पर लोगों की राय ली और यह जानने का प्रयास किया कि वे लोकतंत्र के इस महापर्व को लेकर क्या सोचते हैं। इसी कड़ी में पलवल में यमुना के किनारे चल रही सियासी गतिविधियों का मिजाज परखने का प्रयास किया। फरीदाबाद के मोहना से जब यमुना पलवल जिले के गांव जल्हाका में प्रवेश करती है तो एक नाले में बदल जाती है। सबसे पहले जल्हाका गांव में लोगों से बातचीत की। गांव निवासी राम सिंह ने बताया कि दिल्ली और फरीदाबाद के कारखानों के केमिकल युक्त पानी से यमुना अपनी उर्वरक क्षमता पूरी तरह खो रही है। राम सिंह कहते हैं कि पलवल जिले में यमुना करीब 50 किलोमीटर के क्षेत्र में बहती है।

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गांव जल्हाका से यमुना का सफर शुरू होकर गांव मोहाली में संपन्न होता है। इस पूरे सफर में कहीं भी पानी ऐसा नहीं है जिसे हाथ में लेकर आचमन किया जा सके। आगे यमुना उत्तर प्रदेश की सीमा के गांव गढ़ी बलवारी होते हुए बृज नगरी में अपने आराध्य कृष्ण से मिलने पहुंच जाती हैं, लेकिन इस दौरान भी उनका जल कहीं भी निर्मल नहीं रह पाता। इसी गांव के रहने वाले किशन कहते हैं कि बागपुर, खेशपुर, बलई, थंथरी, सुजवाड़ी, चिरवाड़ी, गुरवाड़ी, सोल्डा, भोल्डा, चांदहट, रहीमपुर, झुप्पी, नगली, करीमपुर, सुल्तानपुर, अच्छेजा, हसनपुर, मुर्तजाबाद, मोहम्मदपुर, फाटनगर, सोरू का नंगला, काशीपुर, अतवा, विलोचपुर, टप्पा, कुशक, अच्छेजा, इंद्रानगर आदि गांवों में अब तो यमुना के प्रदूषित जल का असर पूरी तरह से दिखाई देने लगा है।

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अब तो हैंडपंप में भी प्रदूषित जल निकलता है। बागपुर गांव में पहुंचने पर कुछ लोग एक चैपाल पर बातचीत करते मिले। यहां मौजूद छुट्टन कहते हैं कि यमुना की सफाई लोकसभा चुनाव में किसी भी प्रत्याशी या राजनीतिक दल की तरफ से कोई मुद्दा ही नहीं है, यह तो बड़ी चिंता की बात है। वह कहते हैं कि केमिकल युक्त पानी देखकर ऐसा प्रतीत होता है जैसे कि नदी में पानी के बजाय काला तेल बह रहा हो। छुट्टन को दर्द है कि किसी समय पर तीज त्यौहारों व ज्येष्ठ एकादशी पर न केवल ग्रामीण बल्कि आसपास के लोग यमुना में स्नान भी कर लिया करते थे, लेकिन अब तो इस तरफ देखना भी दूभर हो जाता है। भोलरा गांव में शिवराम, राजेंद्र और भागमल से भी मुलाकात हुई। इन लोगों के मन में भी यमुना की बदहाल हालत को लेकर नेताओं के खिलाफ गुस्सा है। ग्रामीण कहते हैं कि यमुना के किनारे ही हम लोग खेतीबाड़ी करके पेट पालते हैं, लेकिन प्रदूषण से सब चैपट हो रहा है। यमुना पार उत्तर प्रदेश के गांवों में स्थानीय लोगों का रोटी-बेटी का रिश्ता भी है। यहां के लोग खरीदारी के लिए अक्सर पलवल के हसनपुर के बाजारों का रूख करते हैं। हसनपुर में यमुना पर पुल की मांग वर्षों पुरानी है।

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