निजी अस्पतालों में कोरोना इलाज की खर्च सीमा तय करने की मांग पर नोटिस

May 01, 2020

निजी अस्पतालों में कोरोना इलाज की खर्च सीमा तय करने की मांग पर नोटिस

सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना का इलाज कर रहे निजी अस्पतालों में खर्च के संबंध में नियम और सीमा तय करने की मांग वाली याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। नोटिस मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की पीठ ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए गुरुवार को जारी किया।

सचिन जैन की ओर से दाखिल जनहित याचिका में मांग की गई है कि कोरोना की अप्रत्याशित स्थिति को देखते हुए कोर्ट पूरे देश में कोरोना का इलाज करने वाले निजी अस्पतालों में खर्च के बारे में नियम व सीमा तय करे। याचिका में कहा गया है कि ऐसे में पब्लिक लैंड पर बने निजी अस्पताल जो चैरिटेबल संस्थान की तहत काम करते हैं, उन्हें कोरोना के मरीजों का मुफ्तं या फिर बिना लाभ के इलाज करना चाहिए।

सुनवाई के दौरान पहले पीठ ने कहा कि कोर्ट सभी निजी अस्पतालों के खर्च के बारे में कैसे आदेश दे सकती है। बाद में कोर्ट ने केंद्र को नोटिस जारी किया।

सुप्रीम कोर्ट ने संक्षिप्त सुनवाई के बाद उस जनहित याचिका को स्वीकार करने से इन्कार कर दिया है जिसमें केंद्र सरकार और तेलंगाना पुलिस प्रमुख को सोशल नेटवर्किग साइट से फैलाने वाले हैशटैग को रोकने का निर्देश देने को कहा गया था। याचिका में आरोप लगाया गया है कि कथित सांप्रदायिक हैशटैग से भारत में कोरोना को फैलाने के लिए इस्लाम जिम्मेदार है। मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की खंडपीठ ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई की।

ऑफिस किराये को स्कीम लाने की वकीलों की याचिका खारिज

सुप्रीम कोर्ट ने वकीलों के संगठनों की उन याचिकाओं को खारिज कर दिया है, जिनमें ऑफिस का किराया चुकाने में मदद के लिए सरकार को स्कीम लाने का निर्देश देने की मांग की गई थी। कोर्ट ने कहा कि याचिका की बातें अव्यावहारिक हैं। वकीलों के लिए विशेष व्यवस्था नहीं की जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन और सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन ने जनहित याचिकाएं दायर की थीं। जस्टिस एनवी रमना, संजय किशन कौल और जस्टिस बीआर गवई की पीठ ने याचिका पर सुनवाई की। याचिका के मुताबिक, ह्यवकीलों और अन्य पेशेवरों को सरकार की ओर से वित्तीय सुरक्षा नहीं मिली है। याचिका लॉकडाउन के कारण वकीलों व अन्य पेशेवरों के समक्ष आई चुनौतियों को देखते हुए दायर की गई है।

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