अब हर रेस्तरां को लेनी होगी फायर एनओसी

May 24, 2019

अब हर रेस्तरां को लेनी होगी फायर एनओसी

अर्पित होटल में आग लगने के बाद अब बदले जा रहे हैं नियम

-उद्योग विहार (जून 2019)- नई दिल्ली।
दिल्ली में अर्पित होटल में आग लगने से 17 लोगों की दर्दनाक मौत की घटना के बाद दिल्ली में रेस्तरां लाइसेंस के नियमों में बड़े बदलाव होने जा रहे हैं। नई हेल्थ लाइसेंस पॉलिसी बन रही है। इसके तहत अब रेस्तरां में जगह के हिसाब से वहां लगने वाली कुर्सियों की संख्या तय की जाएगी। इसे लेकर उच्चस्तरीय बैठकों का दौर जारी है। केंद्रीय गृह मंत्रलय के निर्देश पर दिल्ली के स्थानीय निकाय रेस्तरां लाइसेंस की नीति में यह परिवर्तन करने की तैयारी कर रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, इस नई पॉलिसी में उन सभी खामियों को दूर किया जाएगा, जिससे आगजनी की घटना होने पर ज्यादा नुकसान की आशंका रहती है। एक अधिकारी ने बताया कि पॉलिसी में नए नियमों को जोड़ने पर कार्य चल रहा है। संभावना है कि चुनाव आचार संहिता हटने के बाद नियमों को अंतिम रूप दे दिया जाए। इसमें सबसे बड़ी बात यह है कि लाइसेंस में यह शर्तें भी जोड़ी जा रही हैं कि सभी प्रकार के रेस्तरां को अग्निशमन विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना अनिवार्य होगा। फिलहाल 49 कुर्सियों तक के रेस्तरां पर यह नियम लागू नहीं होता है।

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डायनिंग एरिया के क्षेत्रफल से तय होगी कुर्सियां:
निगम के एक अधिकारी के अनुसार, गृह मंत्रलय की निगरानी में तीनों नगर निगमों के साथ ही नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) और संबंधित विभागों की बैठकें हो रही हैं। इसके अनुसार, अब एक रेस्तरां के डायनिंग एरिया में सीटों
की संख्या जगह के हिसाब तय होगी। इसमें एक कुर्सी के लिए करीब 1.8 वर्ग मीटर का स्थान तय किया गया है। रेस्तरां के आवेदक के पास जितना डायनिंग एरिया होगा, 1.8 वर्गमीटर प्रति कुर्सी के हिसाब से कुर्सियों की संख्या तय कर दी जाएगी। डायनिंग एरिया में किचेन, ऑफिस और स्टोर का क्षेत्र शामिल नहीं होगा।

नए सिरे से सभी पर लागू होगा नियम

निगम के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, जिस दिन से यह नियम लागू होंगे, इसकी जद में सभी रेस्तरां आ जाएंगे। चाहे किसी ने अग्निशमन से अनापत्ति पहले से ही क्यों न ले रखी हो। खास बात यह होगी कि निगम बिना सेक्शन प्लान और कंप्लीशन
प्रमाण पत्र के हेल्थ लाइसेंस जारी नहीं करेंगे।

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निगम को आय में भी होता था नुकसान

रेस्तरां मालिक द्वारा अपने हिसाब से लोगों के बैठने की कुर्सियां तय करने से अक्सर निगम को आय का भी नुकसान होता था। निगमों के अनुसार 20 सीटों से लेकर 50 सीटों (कुर्सियों) तक की अलग लाइसेंस फीस है और 50 सीटों से ज्यादा के लिए अलग लाइसेंस फीस चुकानी होती है। देखने में आता था कि रेस्तरां संचालक 50 सीटों से कम का लाइसेंस लेकर इससे ज्यादा लोगों को अपने यहां सेवाएं देते थे।

हर स्तर पर बरती गई थी घोर लापरवाही

नई दिल्ली।
करोलबाग के बहुचर्चित होटल अर्पित अग्निकांड में हर स्तर पर घोर लापरवाही बरती गई थी। होटल संचालक सरकारी नियमों की जमकर धज्जियां उड़ा रहा था। मालिक ने होटल में ना केवल अव्यवस्था बना कर रखी थी, बल्कि वह चालाकी से एजेंसियों की आंख में धूल भी झोंक रहा था। होटल में खामियां पाए जाने पर विभाग को शपथ पत्र देकर कमियों को दूर करने का आश्वसान दे देता था। उस वक्त सभी व्यवस्था ठीक कर देता, लेकिन एनओसी मिलते ही दोबारा अवैध गतिविधिया  शुरू कर दी जाती थी। पुलिस जांच के मुताबिक पहली बार होटल अर्पित पैलेस को विभाग ने 2001 में एनओसी दी थी। उस वक्त होटल होटल चार मंजिल था। लेकिन बाद में होटल मालिक ने छत पर अवैध निर्माण करा वहां व्यावसायिक गतिविधियां शुरू कर दीं। लिहाजा उसे सील कर दिया गया। इसके बाद शपथ पत्र देकर मालिक ने होटल की छत से निर्माण हटा दिए, लेकिन एनओसी मिलते ही उसने दोबारा वहां रेस्टोरेंट चलाना शुरू कर दिया था। जिससे बाद में भी दो बार होटल को सील किया गया था। होटल को अंतिम बार अग्निशमन विभाग ने 18 दिसंबर 2017 को एनओसी दी थी। लेकिन घटना के बाद जांच में होटल में काफी खामियां पाई गईं। इसके बाद होटल की एनओसी रद कर दी है। करोलबाग स्थित होटल अर्पित पैलेस को लाक्षागृह का रूप दे दिया गया था। नियम के विपरीत आकर्षक दिखने के लिए होटल की दीवार और फर्श पर लकड़ी और मोटे फोम का प्रयोग किया गया था।

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वहीं, कमरों को बांटने के लिए फाइबर के पार्टीशन लगाए गए थे। आग बुझाने के लिए ना तो होटल में लगाए गए अग्निशमन यंत्र ठीक से काम कर रहे थे और ना ही कर्मियों को उन्हें चलाने का प्रशिक्षण मिला था। इससे आग लगते ही बेकाबू हो गई और होटल में रह रहे लोग असमय काल के गाल में समा गए। होटल में बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण कराया गया था। होटल के बेसमेंट को पार्टी हाल बना दिया गया था। जबकि छत पर अवैध ओपन रेस्टोरेंट का संचालन किया जा रहा था। वहां एक किचन भी थी। घटना के बाद जांच एजेंसियों को वहां से नौ व्यवसायिक सिलेंडर मिले थे। भीषण आग के बावजूद संयोग से सिलेंडर नहीं फटे। जांच के पता चला है कि होटल मालिक ने भूतल पर चल रहे बार व रेस्टोरेंट का लाइसेंस ले रखा था। वहां भी कुछ गैस सिलेंडर पड़े थे। आग प्रथम तल से शुरू हुई जो ऊपर की ओर चली गई। नौ व्यावसायिक सिलेंडर में 19 किलो एलपीजी होती है। इस तरह नौ सिलेंडर में करीब 170 किलो गैस थी। होटल पूरी तरह शीशे की खिड़कियों से बंद था। दीवारों पर लकड़ी का काम, कमरों के बीच की दीवार फाइबर से बनी होने और छत पर फाइबर शीट लगाकर किए गए अवैध निर्माण की वजह से आग ने भयावह रूप ले लिया। लिहाजा प्रथम तल में लगी आग से उठा धुआं लोगों के लिए काल साबित हुआ।

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