*योग परिवार होली मिलन समारोह धूमधाम से सम्पन्न*

Mar 22, 2019

*योग परिवार होली मिलन समारोह  धूमधाम से सम्पन्न*

*होली एक प्राकृतिक पर्व*  -डॉ मधु पोद्दार

*चाइना के माल को न खरीदने का  कराया संकल्प*----हितकारी

ग़ाज़ियाबाद,वीरवार,21-03-2019 को अखिल भारतीय योग संस्थान द्वारा आयोजित योग परिवार होली मिलन समारोह सेक्टर-6 सेंट्रल पार्क राज़ नगर मे प्रातः 5:45 बजे से 8:15 बजे तक  बड़ी धूमधाम से सम्पन्न हुआ ।

 कार्यक्रम का शुभारम्भ संस्थान के अध्यक्ष श्री के के अरोड़ा जी ने ओ३म् की ध्वनि और गायत्री मंत्र से किया और साधकों को सुक्ष्म अभ्यास के साथ साथ  भस्रिका, कपालभांति और अनुलोम विलोम का अभ्यास कराया।

 होली मिलन समारोह में पधारे कवियों सर्वश्री दामोदर दास गुप्ता,अशोक शास्त्री,ओ पी अग्रवाल,सुधीर दत्ता,डॉ आनन्द प्रकाश,डी एन गुप्ता और काव्यत्री श्रीमती फुलां देवी,सुधा शर्मा व नीलम शर्मा,डॉ अनुसूया त्यागी आदि कवियों ने होली पर्व पर सुंदर गीत,हास्य रचना व देश भक्ति के गीत व प्रकृति प्रेम की कविता सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।

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मंच का कुशल संचालन श्रीमती सीमा गोयल जी ने किया व बीच बीच में होली के चुट्कलों को सुनाकर साधकों को लोट-पोट कर दिया।

डॉ मधु पोद्दार जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि संस्कृत शिक्षा के अभाव में हमें वास्तविक तथ्यों का ज्ञान नहीं हो पाता।आइये जानें होली का यथार्थ तिनको की अग्नि में भूने हुए अधपके फली युक्त फसल को होलक(होला) कहते हैं।अर्थात् जिन पर छिलका होता है जैसे हरे चने आदि।रवि की फसल में आने वाले सभी प्रकार के अन्न को होला कहते है।वासन्तीय नवसंस्येष्टि होलीकोत्सव वसन्त ऋतु में आई हुई रवि की नवागत फसल को होम हवन मे डालकर फिर श्रद्धापूर्वक ग्रहण करने का नाम होली है।यह पर्व प्राकृतिक है ऐतिहासिक नही है।और बाद में होला से ही होली बना है प्रहलाद-होलिका वाला दृष्टान्त आलंकारिक है। इस दृष्टांत( को इस प्रकार समझा जा सकता है। जो हरा चना होता है उस पर जो छिलका होता है उसे होलीका कहते हैं। वह तो जल जाता है परंतु अंदर में जो प्रह्लाद (अन्न,चना) होता है वह नहीं जलता। बस इसी से होलीका और प्रहलाद वाली कहानी को इतिहास के साथ जोड़कर बताया गया है। छिलका जल जाता है किंतु चना (अन्न) सुरक्षित रहता है।होली एक प्राकृतिक पर्व है,भौगोलिक पर्व है।होली मनाने का सही विधान,वसन्त ऋतु के नये अन्न को यज्ञ (हवन) में आहुति देकर ग्रहण करना है।क्योंकि भारतीय संस्कृति दान देकर,बाँट कर खाने में विश्वास करती है।इसलिए प्रसन्नतापूर्वक बाँट कर खाना चाहिए। दूसरी बात यह है कि होली के दूसरे दिन जो रंग खेलने की प्रथा है वह भी एक प्राकृतिक उत्सव है। आपस में मेल जोल बढ़ाना,एक दूसरे का सम्मान करना, एक दूसरे के साथ प्रेम करना, किसी के साथ मनमुटाव हो गया हो,झगड़ा हो गया हो तो उसको भूलकर  एक दूसरे को प्रकृति के उपहार स्वरुप प्रदत्त वसंत ऋतु में आए हुए नए फूलों का चूर्ण करके उसका रंग बनाकर सभ्यता से प्रसन्नता पूर्वक बिना किसी को परेशान किए लगाना और सम्मान करना चाहिए।यह कार्य भी प्रेम पूर्वक करना चाहिए। जिससे कोई व्यक्ति दुखी ना हो आपके रङ्ग लगाने से परेशान ना हो इसका विचार रखना चाहिए।वसंत ऋतु में आयुर्वेद के अनुसार  वात पित्त कफ आदि दोषों को सम रखने के लिए होलक (नए अन्न) को भून कर खाना चाहिए और पलाश आदि फूलों को रात्रि में पानी में डूबा कर उससे स्नान करना चाहिए।केमिकल वाले रंगों का प्रयोग सर्वथा नहीं करना चाहिये, जो की पर्यावरण को दूषित करता है, और त्वचा रोग उत्पन्न करता है। अतः प्राकृतिक और सुरक्षित रंगों का उपयोग करना चाहिये।

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राज नगर एक्सटेंशन से पधारे सौम्या भारती,श्रद्धा,भार्गवी, रिया,वैष्णवी,माही आदि बच्चों ने देशभक्ति से ओतप्रोत नाटिका प्रस्तुत की जिसका उद्देश्य अखंड भारत का निर्माण करना है,जिसे श्रोताओं ने खूब सराहा।

केन्द्रीय आर्य युवक परिषद् उत्तर प्रदेश के प्रांतीय महामंत्री श्री प्रवीण आर्य जी ने एक सुंदर गीत "जो होली सो हो-ली भुला दो उसे,आज मिलने मिलाने का त्यौहार है,त्याग दो छल कपट की भावना,प्रेम गंगा बहाने का त्यौहार है।"सुनाकर सबको भाव विभोर कर दिया।

वशिष्ठ अतिथि के रूप में पधारे श्री आर के त्यागी जी ने कहा कि इतनी सुन्दर बातें जो आपने सुनी हैं ये मन में बस जाएं तो ये स्वर्ग है ओर उन्होंने सभी आगन्तुकों का आभार व्यक्त किया।

मुख्य अतिथि के रूप में पधारे श्री विजय यादव (उपाध्यक्ष, ग़ाज़ियाबाद विकास प्राधिकरण) जी ने कहा कि योग की विद्या को मैंने संस्थान से सीखा है,यहाँ आकर जो हम अच्छी साँसे लेते हैं और योगा करके स्वास्थ्य रहते हैं यही स्वर्ग है,उन्होंने स्नेह,प्यार और उमंग के साथ होली का त्यौहार मनाने पर बल दिया और होलिकोत्सव की सभी को हार्दिक बधाई दी ।

समारोह संयोजक डॉ आर के पोद्दार जी ने महानगर की सभी योग क्लासों से आये हुये सभी पदा- धिकारिओ का तहे दिल से धन्यवाद किया।

कु दिया व कु दिशा  द्वारा प्रस्तुत शिव पार्वती नृत्य आकर्षण का केन्द्र रहे।

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इस अवसर पर मुख्य रूप से सर्वश्री श्रद्धानन्द शर्मा,नरेन्द्र शिशोदिया (सांसद प्रतिनिध ज.वी के सिंह),देवेन्द्र सिंह,ओ पी अग्रवाल(सी एम ओ) राजेन्द्र कुमार मदान,सुभाष गर्ग,देवेन्द्र बिष्ठ आदि मौजूद रहे।

श्रीमती मीना चोपड़ा,सीमा गोयल आदि ने वैदिक प्रार्थना व शांतिपाठ के साथ सभा को संपन्न किया,जलपान ग्रहण कर साधक आपस में बधाइयाँ देते हुए घरों को लोटे।

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