कारोबार की रफ्तार
कारोबार की रफ्तार
लॉकडाउन के एक माह बाद संक्रमण परीक्षण की गति तेज किए जाने की तैयारी के साथ ऐसे आंकड़े कोरोना वायरस से उपजी महामारी कोविड-19 के खिलाफ जारी जंग में जीत की उम्मीद जगाते हैं कि बीते 14 दिनों में देश के करीब 80 जिलों में संक्रमण का कोई नया मामला नहीं मिला। इसके बावजूद चैन की सांस नहीं ली जा सकती, क्योंकि देश के कुछ हिस्सों में कोरोना मरीजों की संख्या में वृद्धि चिंता का कारण बनी हुई है। एक ओर जहां इस वृद्धि को थामने पर जोर देना होगा वहीं दूसरी ओर इसकी भी परवाह करनी होगी कि जीविका के साधनों को गति कैसे मिले? केंद्र सरकार को इस पर तुरंत गौर करना होगा कि संक्रमण से अछूते इलाकों में कुछ शतोर्ं के साथ कारोबारी गतिविधियां शुरू करने की जो छूट दी गई उसका कोई खास लाभ क्यों नहीं मिल रहा? उद्योग-व्यापार जगत ने यह पाया कि लॉकडाउन में कारोबारी गतिविधियां शुरू करने के लिए जो दिशा-निर्देश जारी किए गए उनमें से कई ऐसे हैं जिनका पालन करना संभव नहीं।
यह ठीक है कि गृह मंत्रलय ने उस दिशा-निर्देश को लेकर स्पष्टीकरण जारी कर दिया जिसके तहत कहा गया था कि किसी कारोबारी परिसर में कोरोना का संक्रमण पाए जाने पर उसके मालिक के खिलाफ कार्रवाई होगी, लेकिन लगता नहीं कि इससे बात बनने वाली है। स्पष्टीकरण के अनुसार कार्रवाई उसी दशा में होगी जब यह पाया जाएगा कि लापरवाही बरती गई। आखिर इसका निर्धारण कैसे होगा कि कहीं कोई कोरोना संक्रमण किसकी लापरवाही से फैला? यह मानना सही नहीं होगा कि कोई संक्रमित व्यक्ति जानबूझकर काम करने जाएगा। भूल और लापरवाही में फर्क किए जाने के साथ यह भी देखा जाना चाहिए कि कोरोना वायरस से फैल रही महामारी ऐसी है कि कोई भी उसकी चपेट में आ सकता है।
यह ठीक नहीं कि उद्योग-व्यापार जगत के समक्ष यह भी स्पष्ट नहीं कि किस इलाके में किन कारोबारी गतिविधियों की अनुमति है? इस अस्पष्टता को दूर करने के साथ सरकार को इस पर भी ध्यान देना होगा कि अनुमति हासिल करने के तौर-तरीके पेचीदा न हों। अनुमति हासिल करने के मामले में कागजी कार्रवाई का कोई मतलब नहीं। लगता है कि सीमित कारोबारी गतिविधियां शुरू करने के दिशा-निर्देश जल्दबाजी में तैयार किए गए और इसीलिए आवश्यक वस्तुओं के निर्माण की तो इजाजत दी गई, लेकिन कच्चे माल को ढंग से परिभाषित नहीं किया गया। इसी तरह कृषि कार्यों को तो छूट दी गई, लेकिन कृषि उपज और खासकर चाय, काफी, रबर आदि की पैकेजिंग को लेकर स्पष्ट निर्देश नहीं दिए गए। साफ है कि इन विसंगतियों को तत्काल प्रभाव से दूर किया जाना चाहिए।
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