मृतक आश्रित को दी जा सकती है न्यूनतम अर्हता में छूट
मृतक आश्रित को दी जा सकती है न्यूनतम अर्हता में छूट
-उद्योग विहार (जून 2019)- प्रयागराज।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि मृतक आश्रित सेवा नियमावली के तहत न्यूनतम अर्हता में छूट दी जा सकती है। निजी संस्थाओं की प्रबंध समिति मृतक आश्रित को समायोजित करने से इन्कार नहीं कर सकती। कोर्ट ने स्कूल प्रबंध समिति पर 50 हजार रुपये का हर्जाना लगाया है। यह हर्जाना आश्रित को मुकदमेबाजी में उलझाकर परेशान करने के लिए लगाया गया है। कोर्ट ने नियमित वेतन भुगतान करने सहित चार हफ्ते में हर्जाना राशि का भुगतान आश्रित बृजेश गोपाल खलीफा को करने का निर्देश दिया है। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर तथा न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी की खंडपीठ ने रमाकांत सेवा संस्थान कन्या विद्यालय वाराणसी की प्रबंध समिति की विशेष अपील को खारिज करते हुए दिया है। कोर्ट ने कहा है कि खंडपीठ ने मृतक आश्रित को नियुक्ति का आदेश दिया और नियुक्ति आदेश को एकलपीठ में दोबारा चुनौती दी गई।
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कहा कि कोर्ट के आदेश के खिलाफ अपील दाखिल कर प्रबंध समिति ने न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग किया है। आश्रित बृजेश गोपाल की तरफ से अधिवक्ता राजेश कुमार सिंह ने बहस की। बृजेश गोपाल को 14 जुलाई 2015 को बीएसए ने नियुक्ति का आदेश दिया। लेकिन, विद्यालय में उसे नियुक्ति नहीं दी गई। फिर बीएसए ने शिवकरण सिंह गौतम उ.मा. विद्यालय भदैनी मेंलिपिक पद पर नियुक्ति का आदेश दिया। वहां भी नियुक्ति नहीं दी गई। इस पर कई दौर की मुकदमेबाजी चली। सहायक बेसिक शिक्षा निदेशक को दो बार कोर्ट ने नियुक्ति तय करने का आदेश दिया। लेकिन, मृतक आश्रित को नियुक्ति नहीं मिल सकी। कोर्ट के आदेश पर 29 अक्टूबर 2018 को बृजेश गोपाल को रमाकांत सेवा संस्थान कन्या विद्यालय वाराणसी नियुक्ति मिल सकी। यही वही स्कूल है जहां बृजेश गोपाल की मांग शिक्षक थीं और उनकी सेवाकाल में मृत्यु हो गई थी। कोर्ट के आदेश पर बृजेश की नियुक्ति तो कर ली गई लेकिन, प्रबंध समिति ने कोर्ट के आदेश के खिलाफ अपील दाखिल की। कोर्ट ने कहा कि मृतक आश्रित की तुरंत नियुक्ति करनी चाहिए जबकि ऐसा न कर उसे परेशान किया गया। कोर्ट ने न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग मानते हुए भारी हर्जाना लगाया है।
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