उखाड़े गए पेड़ों से फूटीं उम्मीद की कोपलें

Jul 25, 2019

उखाड़े गए पेड़ों से फूटीं उम्मीद की कोपलें

विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच एक ऐसी चुनौती पूरी की है, जो नजीर बन गई है। एक्सप्रेस-वे निर्माण की राह में बाधा बनने वाले सैकड़ों पेड़ों को सिर्फ जड़ समेत स्थानांतरित ही नहीं किया गया, बल्कि भीषण गर्मी से बचाकर उन्हें नया जीवन भी दे दिया। स्थानांतरित किए जो पेड़ गर्मी में सूख जाने का संकेत देकर राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) के प्रयासों को धता बता रहे थे, उनमें अब उम्मीद की कोपलें फूट पड़ी हैं।दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे की राह में सैकड़ों पेड़ आ रहे थे, जिन्हें काटा गया और इसके बदले में नियमानुसार पौधारोपण करना सुनिश्चित हुआ। हालांकि, इन्हीं में अच्छरौंडा-काशी गांव में आम के बाग के 250 पेड़ ऐसे थे, जिनके बारे में एनएचएआइ ने फैसला किया कि इन्हें रास्ते से हटाया तो जाएगा पर काटा नहीं जाएगा। तय हुआ कि पेड़ों को जड़ समेत उखाड़कर दूसरे स्थान पर रोपेंगे यानी स्थानांतरित कर देंगे। फरवरी में स्थानांतरित किए गए पेड़ों को देख ऐसा लग रहा था कि यह प्रयोग सफल नहीं हुआ।झुलसती गर्मी में पेड़ सूखने लगे, लेकिन उम्मीद नहीं छोड़ी गई। पेड़ों को सुरक्षित रखने के लिए खेत की तरफ दीवार बना दी गई। निर्माण में लगे टैंकरों से कई बार पानी डाला गया, पर तने जस के तस खड़े रहे। उम्मीद फिर भी कायम रही, जो अब पूरी हो गई है। मानसून के पहले झोंके के बाद ही इन पेड़ों में एक बार फिर हरियाली फूट पड़ी। उन पर नए पत्ते आ गए हैं। जिन शाखाओं को पेड़ को सूखने से बचाने के लिए काट दिया गया था, उन पर अब पतली-पतली नई शाखाओं ने आकार ले लिया है। एनएचएआइ के सूत्रों के अनुसार लगभग 25 हजार रुपये प्रत्येक पेड़ पर खर्च कर उन्हें स्थानांतरित किया गया था। पेड़ों को स्थानांतरित करने की इस प्रक्रिया में पेड़ उखाड़ने से पहले ट्री प्लांटर मशीन इसके चारों तरफ जड़ की लंबाई के अनुसार 6-7 फीट गहरा गड्ढा करती है। फिर पानी डालकर उस जगह को गीला किया जाता है। मशीन से ही पेड़ की शाखाओं को काटा जाता है। फिर गीली सतह के सहारे मशीन के कटर और पेड़ को थामने वाले हिस्से को नीचे पहुंचाया जाता है। जैसे ही मुख्य जड़ के नीचे तक यह हिस्सा पहुंच जाता है और यह सुनिश्चित हो जाता है कि मुख्य जड़ को क्षति नहीं पहुंची है, तब कटर के सहारे गोलाई में मिट्टी को काट दिया जाता है। फिर जड़ समेत पूरे हिस्से को उठा लिया जाता है। इस पूरी प्रक्रिया में करीब एक-दो घंटे का समय लगता है। नया गड्ढा खोदने से लेकर मिट्टी पाटने तक का काम यही मशीन करती है।
 

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