घर में प्रदूषण बना रहा ‘सिक बिल्डिंग सिंड्रोम’ का शिकार

May 25, 2019

घर में प्रदूषण बना रहा ‘सिक बिल्डिंग सिंड्रोम’ का शिकार

उद्योग विहार (जून 2019)- कानपुर।
थकान, सिरदर्द, घबराहट, उलझन जैसी दिक्कतें हो रही हैं? अगर हां, तो यह प्रदूषण की देन हो सकती है। लेकिन जरूरी नहीं कि यह सिर्फ बाहर के प्रदूषण से पनपी बीमारी हो। घर के अंदर का प्रदूषण भी बीमारियों का शिकार बनाता है और इसकी अनदेखी स्वास्थ्य खराब कर रही है। स्वास्थ्य संबंधी ऐसी परेशानियों को सिक बिल्डिंग सिंड्रोम कहते हैं। घरों-कार्यालयों में प्रदूषण का कारण मच्छर भगाने वाला क्वायल, खाना पकाना, सिगरेट का धुआं और रूम फ्रेशनर इसके कारक हैं। यह बात सामने आई है आइआइटी के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के शोध में। इस शोध में आइआइटी के हरे-भरे वातावरण वाले घर लिए गए हैं।

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विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर अनुभा गोयल ने बताया कि शहर में वायु प्रदूषण की मात्रा लगातार बढ़ ही रही है। लेकिन, जब ‘इंडोर एयर क्वालिटी’ को लेकर आइआइटी कैंपस के 60 फीसद घरों व कार्यालयों में प्रदूषण् की मात्रा मापी गई तो यह भी मानक से ज्यादा निकली। कार्बन डाइ आक्साइड का स्तर बहुत अधिक था। इसके बाद यह भी सामने आया कि सीओटू का स्तर ज्यादा होने से लोग ‘सिक बिल्डिंग सिंड्रोम’ का शिकार हो रहे हैं। इस वजह से उन्हें थकान, सिरदर्द, घबराहट, उलझन जैसी दिक्कतें हो रही हैं। उन्होंने बताया कि कार्बन डाइ आक्साइड का स्तर 500 पीपीएम होना चाहिए लेकिन, आइआइटी के कार्यालयों में यह 1400 पीपीएम पर पहुंच गया। इससे बचाव के तरीके भी ईजाद किए गए हैं, जिनमें बहुत कम खर्च वाले उपायों से हर बीमारी दूर रहेगी।

भारत में इंडोर एयर क्वालिटी को लेकर स्टैंडर्ड तैयार नहीं:
देश में इंडोर एयर क्वालिटी को लेकर अभी तक कोई स्टैंडर्ड नहीं तैयार किए गए हैं। आइआइटी के प्रोफेसरों ने इस पर हैरानी जताई है।
2017 में वायु प्रदूषण से हुई 12 लाख मौत:
एसोसिएट प्रोफेसर अनुभा ने बताया कि वायु प्रदूषण (इंडोर व आउटडोर) से वर्ष 2017 में लगभग 12 लाख लोगों की मौत हो चुकी है।

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शोध के दौरान ये मात्रा आई सामने

  •  घरों में पीएम वन की औसत मात्रा: 130 माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यूब
  •  घरों में पीएम 2.5 की औसत मात्रा: 219 माइक्रोग्राम प्रति
  •  छात्रों के कमरों के अंदर पीएम वन की औसत मात्रा: 317 माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यूब

ये उपाय करने होंगे

  •  घरों व कार्यालयों के अंदर एग्जास्ट फैन जरूर लगवाएं
  •  खिड़कियों को अधिकतर समय तक खुला रखें
  •  खिड़कियों नहीं हैं तो छोटे-छोटे रोशनदान जरूर बनवाए

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