यह किस तरह की याचिका है? टीवी चैनल, स्ट्रीमिंग एप, मोबाइल कंपनियों को लॉकडाउन में मुफ्त सेवा के निर्देश देने की मांग वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में खारिज
यह किस तरह की याचिका है? टीवी चैनल, स्ट्रीमिंग एप, मोबाइल कंपनियों को लॉकडाउन में मुफ्त सेवा के निर्देश देने की मांग वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में खारिज
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक याचिका खारिज कर दी जिसमें COVID-19 महामारी के प्रसार को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन की अवधि के दौरान रिलायंस, भारती एयरटेल, TataSky, Netflix, Vodafone, Amazon Retail’ और इसी तरह की सेवाएं देने वाली कंपनियों को फोन कॉलिंग, डेटा के इस्तेमाल, सैटेलाइट टीवी इस्तेमाल और अन्य संबद्ध सेवाओं की मुफ्त और निर्बाध सेवाएं देने के निर्देश देने की की मांग की गई थी। न्यायमूर्ति एनवी रमना, न्यायमूर्ति एसके कौल और न्यायमूर्ति बीआर गवई की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता अधिवक्ता मनोहर प्रताप की इस तरह की याचिका दायर करने के लिए खिंचाई की, जिन्होंने तुरंत अदालत को आश्वासन दिया कि वह इस याचिका को वापस ले लेंगे।
मामले पर खंडपीठ ने कहा, "किस तरह की याचिकाएंं दायर की जा रही हैं?" याचिकाकर्ता ने न्यायालय से आग्रह किया था कि वह केंद्र और संबंधित अधिकारियों को निर्देश दे कि वे विभिन्न सेवा प्रदाताओं को नागरिकों की मनोवैज्ञानिक भलाई सुनिश्चित करने के लिए फोन कॉलिंग, डेटा के इस्तेमाल, सैटेलाइट टीवी इस्तेमाल और अन्य संबद्ध सेवाओं की मुफ्त और निर्बाध सेवाएं देने के आदेश दें। अधिवक्ता मनोहर प्रताप द्वारा दायर याचिका में कहा गया था कि ये निर्देश आवश्यक हैं क्योंकि बहुत संभावना है कि उत्तरदाता नागरिकों को कम्यूनिकेशन और मनोरंजन की कोई मुफ्त सेवा प्रदान नहीं करेंगे, जो वर्तमान स्थिति में भारत के संविधान का अनुच्छेद 21 उनके जीवन और स्वतंत्रता के लिए हानिकारक हो सकता है। याचिका में कहा गया कि "यह आगे बड़े पैमाने पर जनता के मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य पर चोट करेगा, जिसके परिणामस्वरूप भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार का व्यापक उल्लंघन होगा।
" यह दलील इस तथ्य पर प्रकाश डालती है कि मनुष्य सामाजिक और भावनात्मक होते हैं जिन्हें मनोरंजन के विभिन्न तरीकों से अपनी मनोवैज्ञानिक ज़रूरत को बनाए रखने के लिए सामाजिक अंतःक्रियाओं की आवश्यकता होती है। याचिका में कहा गया था कि, "याचिकाकर्ता एक ऐसी स्थिति को स्पष्ट करता है, जिसमें ऐसे व्यक्ति जो अपने परिवार के बिना या क्वारंटाइन (घर / सरकार द्वारा प्रदान की गई सुविधा) में अकेले फंसे हों, उन्हें निकट और प्रिय लोगों के निरंतर समर्थन की आवश्यकता होती है और उन्हें प्राप्त करने के लिए निरंतर कम्यूनिकेशन की आवश्यकता होती है, जो केवल डिजिटल माध्यम से हो सकती है। इसलिए, "देश के सभी नागरिकों को पूरे भारत में मुफ्त कॉलिंग (ऑडियो / वीडियो) की सभी सुविधाएं तुरंत प्रदान करना अनिवार्य है।"
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