इलाहाबाद हाईकोर्ट ने धर्म छुपाकर शादी का झूठा वादा करके पीड़िता से रेप करने के आरोपी को जमानत देने से इनकार किया
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में एक ऐसे व्यक्ति को ज़मानत देने से इनकार कर दिया जिस पर अपना असली धर्म छुपाकर शादी करने का झूठा वादा करके पीड़िता के साथ यौन संबंध बनाने का आरोप लगाया गया है। जस्टिस सौरभ श्याम शमशेरी की खंडपीठ ने कहा कि यह एक ऐसा मामला है, जिसमें आरोपी ने खुद को अलग धर्म का व्यक्ति बताकर पीड़िता को फंसाया और उसकी इच्छा के विरुद्ध उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए। अदालत ने कहा, "आवेदक ने पीड़िता को धोखा देने के लिए खुद को एक अलग धर्म के व्यक्ति के रूप में पेश किया और उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए शादी का वादा किया। यह शादी के झूठे वादे का मामला होगा।" पीड़िता ने खुद आरोपी के खिलाफ पिछले साल अगस्त में आईपीसी की धारा 376(2)(n), 420, 506 और उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम की धारा 3/5 के तहत एफआईआर दर्ज कराई थी। आरोपी के खिलाफ आरोप है कि पीड़िता जब पांच महीने पहले आरोपी से मिली थी, तो उसने खुद को विशाल के रूप में पेश किया और वे आपस में बात करने लगे। यह आगे आरोप लगाया गया कि वह उससे मिलने के लिए बरेली जाती थी, जहां आरोपी ने उसकी अवांछित तस्वीरों को वायरल करने की धमकी देकर उसके साथ बार-बार बलात्कार किया गया। इसके बाद आरोप के अनुसार एफआईआर दर्ज करने के ठीक एक दिन पहले, आरोपी उसे एक होटल में ले गया, जहां उसे पता चला कि लड़के का असली नाम चांद बाबू है और वह मुस्लिम धर्म से ताल्लुक रखता है। जब पीड़िता ने उससे पूछा कि उसने खुद को एक हिंदू लड़के के रूप में क्यों पेश किया तो आवेदक ने लड़की को मुस्लिम धर्म में परिवर्तित होने के लिए मजबूर किया और उसके साथ फिर से बलात्कार किया और भाग्य से वह होटल से भाग गई और एफआईआर दर्ज की। इसके बाद, आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया और इसलिए इस मामले में जमानत की मांग करते हुए, वह इस आधार पर जमानत अर्जी के साथ हाईकोर्ट गया कि यह हनीट्रैप का एक विशिष्ट मामला था जिसमें उसे पीड़िता ने फंसाया। बाद में वह उसे ब्लैकमेल करने लगी। आवेदक के वकील द्वारा आगे प्रस्तुत किया गया कि पीड़िता आवेदक के वास्तविक धर्म के बारे में जानती थी क्योंकि यह असंभव है कि उससे नियमित रूप से मिलने के बावजूद भी वह उसके धर्म के बारे में नहीं जान सके। अंत में यह प्रस्तुत किया गया कि होटल (जहां दोनों मिले) के विजिटर रजिस्टर में आरोपी-आवेदक का नाम चांद बाबू के रूप में लिखा गया था और पीड़िता का नाम नेहा खान के रूप में लिखा गया और इस तरह, यह यह स्पष्ट था कि पीड़िता आवेदक का धर्म जानती थी और अपनी पहचान छिपाने के लिए उसने खुद को एक मुस्लिम लड़की के रूप में दिखाया। हाईकोर्ट की टिप्पणियां अदालत ने कहा कि पीड़िता ने एफआईआर के साथ-साथ सीआरपीसी की धारा 161 और 164 के तहत दर्ज अपने बयानों में विशेष रूप से कहा कि आवेदक ने खुद को एक हिंदू लड़का बताया और उसने शुरू में वादा करके उसके साथ बार-बार शारीरिक संबंध बनाए। हालांकि, बाद में धमकी दी कि वह उसकी अवांछित तस्वीरें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर डाल देगा। अदालत ने मुकदमे के दौरान दर्ज होटल के मैनेजर के बयान का भी हवाला दिया कि होटल में केवल आवेदक ने आधार कार्ड की एक प्रति जमा की थी और पीड़िता के हस्ताक्षर सीमा के नाम पर थे, इसलिए, न्यायालय ने कहा कि जाहिर तौर पर वह नहीं जानती थी कि विजिटिंग रजिस्टर में उसका नाम नेहा खान के रूप में दिखाया गया था। इसे देखते हुए न्यायालय ने कहा कि शुरुआत से ही यदि किसी व्यक्ति का पीड़ित को धोखा देने का दुर्भावनापूर्ण इरादा है, जैसा कि इस मामले में है, जिसमें आवेदक ने पीड़ित को धोखा देने के लिए खुद को एक अलग धर्म के व्यक्ति के रूप में पेश किया है और शादी का वादा कर शारीरिक संबंध बनाया तो यह शादी के झूठे वादे का मामला होगा। "उपरोक्त चर्चा के मद्देनजर और वर्तमान मामले के तथ्यों को देखते हुए, यह हनीट्रैप का मामला नहीं प्रतीत होता है, बल्कि यह आवेदक द्वारा खुद को अलग धर्म का व्यक्ति बताकर पीड़िता को फंसाकर पीड़िता से उसकी मर्जी के खिलाफ शारीरिक संबंध बनाने और बाद में उसकी अवांछित तस्वीरों को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर डालने की धमकी दी गई।