POSH Act | कर्नाटक हाईकोर्ट ने सभी शैक्षणिक संस्थानों में आंतरिक शिकायत समिति गठित करने की मांग वाली जनहित याचिका का निस्तारण किया
Source: https://hindi.livelaw.in/
कर्नाटक हाईकोर्ट ने सोमवार को राज्य के प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा विभाग को कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न रोकथाम अधिनियम के आलोक में आंतरिक शिकायत समिति (आईसीसी) गठित करने के लिए सभी शैक्षणिक संस्थानों को अनिवार्य करने वाले सर्कुलर जारी करने के निर्देश देने की मांग वाली जनहित याचिका का निस्तारण किया। चीफ जस्टिस प्रसन्ना बी वराले और जस्टिस एम जी एस कमल की खंडपीठ ने क्रीटम्स प्रो बोनो और सेंटर फॉर लीगल रिसर्च द्वारा दायर याचिका का निस्तारण किया। ऐसा करने में खंडपीठ ने ऑरेलियानो फर्नांडीस बनाम गोवा राज्य मामले पर भरोसा किया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने उस वादे को पूरा करने के लिए कई निर्देश जारी किए थे, जो पॉश एक्ट (POSH Act) पूरे देश में कामकाजी महिलाओं के लिए रखता है। इसके अलावा इसने भारत संघ, राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को 8 सप्ताह के भीतर अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया। डिप्टी सॉलिसिटर जनरल एच शांति भूषण ने अदालत को सूचित किया कि इस विस्तृत फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्न कारकों पर विचार किया और इस मुद्दे पर व्यापक रूप से विचार किया। हाईकोर्ट ने कहा, "सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों और भारतीय संघ, राज्य सरकार / केंद्र शासित प्रदेशों को निर्धारित अवधि में जवाब प्रस्तुत करने के निर्देश के मद्देनजर, हमें जनहित याचिका पर विचार करने का कोई कारण नहीं दिखता है।" याचिकाकर्ता ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रकाशित आर्टिकल के बाद अदालत का दरवाजा खटखटाया था। इस आर्टिकल का टाइटल था- "भारत में अधिकांश पब्लिक स्कूलों के पास बाल यौन शोषण को रोकने के साधन नहीं हैं।" इसने दावा किया कि लेख में शैक्षिक संस्थानों के बारे में कुछ परेशान करने वाले तथ्यों का खुलासा किया गया। इस प्रकार जुलाई 2014 में राज्य सरकार द्वारा जारी सर्कुलर का कड़ाई से पालन किया गया। खंडपीठ ने सर्कुलर को देखा और कहा कि यह विभिन्न मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने वाले सब-टाइटल्स में विभाजित है, जैसे कि माता-पिता की जिम्मेदारियां और इंस्टीट्यूशन और निजी स्कूल मैनेजमेंट कमेटियों के प्रमुखों की जिम्मेदारी; बाल सुरक्षा संरक्षण और कार्य योजना; पुलिस विभाग द्वारा की जाने वाली कार्रवाई, स्कूल वाहनों का रखरखाव आदि। सर्कुलर में इस बात पर भी जोर दिया गया कि बच्चों से संबंधित अपराधों को अत्यंत गंभीरता और संवेदनशीलता के साथ देखा जाना चाहिए। सर्कुलर में पॉक्सो के तहत बच्चों से संबंधित यौन शोषण के विभिन्न अधिनियमों और दोषी व्यक्ति को कड़ी सजा का भी उल्लेख है।