जिस किरायेदार की लीज की अवधि समाप्त हो चुकी हो, वक्फ एक्ट के तहत उसे अतिक्रमणकारी माना जाएगाः केरल हाईकोर्ट

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केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि लीज (पट्टा) की अवधि समाप्त होने के बाद, किरायेदार को वक्फ कानून के तहत 'अतिक्रमणकारी' माना जाएगा। जस्टिस ए मुहम्मद मुस्ताक और जस्टिस सोफी थॉमस ने कहा कि एक बार वक्फ एक्ट लागू हो गया और कोई लीज मौजूद नहीं रही तो पार्टियों के बीच संबंध वक्‍फ एक्ट के तहत शासित होंगे, न कि ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट के तहत। कोर्ट ने कहा, “ट्रासंफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट एक सामान्य अधिनियम है, जिसके तहत लीज को नियंत्रित किया जाता है। जब कोई विशेष कानून लीज की समाप्ति के बाद किसी किरायेदार के साथ एक विशेष तरीके से व्यवहार करता है, तो विशेष कानून में निर्दिष्ट प्रक्रिया का पालन करना होगा। जहां तक लीज की अवधि समाप्त होने के बाद कब्जे की प्रकृति का सवाल है, तो प्रभावी होगा न कि संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम। पुनरीक्षण याचिकाकर्ता का यह दावा नहीं किया है कि लीज मौजूद है। इसलिए, लीज की समाप्ति पर उसे अतिक्रमणकारी माना जाएगा।" मामले में न्यायालय एक पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जहां पुनरीक्षण याचिकाकर्ता ने वक्फ ट्रिब्यूनल के आदेश को चुनौती दी थी, जिसने वक्फ बोर्ड के आदेश को बरकरार रखा था। वक्फ बोर्ड ने वक्फ संपत्ति से अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया था, जहां याचिकाकर्ता लीज की अवधि समाप्त होने के बाद भी किरायेदार के रूप में बनी हुई थी। याचिकाकर्ता ने कहा कि वह किरायेदार के रूप में बनी हुई है और उसे अतिक्रमणकारी नहीं कहा जा सकता। यह भी तर्क दिया गया कि भले ही इमारत वक्फ संपत्ति के अंतर्गत आती हो, पट्टे का निर्धारण संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम के प्रावधानों के तहत किया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि लीज की अवधि समाप्त होने के बाद भी वक्फ संपत्ति पर कब्जा जारी रखने वाला व्यक्ति वक्फ एक्ट की धारा 3 (ईई) के तहत अतिक्रमणकारी होगा। न्यायालय ने पाया कि एक बार लीज की अवधि समाप्त हो गई और संपत्ति वक्फ बोर्ड के साथ पंजीकृत हो गई, तो पार्टियों के बीच संबंध वक्फ अधिनियम के तहत नियंत्रित होंगे, न कि संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम के तहत। उपरोक्त निष्कर्षों पर, न्यायालय ने वक्फ बोर्ड के आदेश को बरकरार रखा और पुनरीक्षण याचिकाकर्ता को इमारत खाली करने के लिए छह महीने का समय दिया गया।