ऐतिहासिक फैसला

Aug 17, 2019

ऐतिहासिक फैसला

भारत के इतिहास में पांच अगस्त 2019 का दिन एक ऐतिहासिक अवसर के रूप में दर्ज हो गया है। केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से धारा 370 (1) को छोड़ कर इस धारा के सभी प्रावधानों को खत्म कर दिया है। अब राज्य में पूरी तरह से भारत का संविधान लागू हो गया है। धारा 370 हटाने को लेकर देश को दशकों से इंतजार था और राज्य में पिछले तीन-चार दशकों से जिस तरह के हालात बने हुए थे, उसे देखते हुए यह जरूरी भी हो गया था। धारा 370 हटाने के लिए केंद्रीयगृह मंत्री ने सोमवार को राज्यसभा में संकल्प पेश किया और फिर चर्चा और विपक्ष के भारी विरोध के बाद इसे मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेज दिया। संविधान (जम्मू कश्मीर में लागू)आदेश 2019 पर राष्ट्रपति के दस्तखत के बाद जम्मू कश्मीर में भारत का संविधान लागू हो गया। अब जम्मू-कश्मीर का अपना कोई संविधान नहीं रह गया है और जम्मू कश्मीर में लागू आदेश 1954 का अस्तित्व समाप्त हो गया है। धारा 370 खत्म होने से 35ए भी स्वत: ही समाप्त हो गई है। राज्य में अब धारा 370 (1) ही लागू रहेगी, जो संसद द्वारा जम्मू-कश्मीर के लिए कानून बनाने से संबंधित है। आजादी के बाद से ही कश्मीर की समस्या भारत के लिए बड़ा सिरदर्द बनी रही है। धारा 370 जैसे प्रावधान ने भारत के इस अंदरूनी संकट को हमेशा बढ़ाया ही है। कश्मीर घाटी पिछले चार दशक से आंतकवाद की मार झेल रही है और इस दौरान बड़ी संख्या में बेगुनाह नागरिक मारे गए और जवान शहीद हुए। समस्या का मूल ही राज्य को विशेष दर्जा मिले रहना रहा है, जिसकी वजह से अब तक की केंद्र सरकारें कई अहम फैसले लेने से बचती रही थीं। और एक देश में दो संविधान, दो व्यवस्थाएं चलने वाली स्थिति लंबे समय तक बनाए रखी भी नहीं जा सकती।

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दरअसल, विशेष दर्जे के बाद भी कश्मीर और कश्मीरियों की हालत में कोई ऐसा उल्लेखनीय सुधार नहीं आया जिससे राज्य को विशेष दर्जे को बनाए रखना तर्कसंगत ठहराया जा सके, बल्कि प्रदेश के राजनीतिक दल कश्मीर के नाम पर अपनी राजनीति करते रहे। हालत यह है कि आज राज्य में नौजवानों के पास रोजगार नहीं है, गांव-गांव में आतंकवादी संगठन गहरी पैठ बना चुके हैं, शासन में भ्रष्टाचारकी बातें सामने आ रही हैं और किसी भी केंद्रीय योजना का लोगों तक नहीं पहुंच नहीं रहा है। धारा 370 खत्म करने के साथ ही जम्मू-कश्मीर से लद्दाख को अलग कर दिया गया है। अब जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दोनों ही केंद्र शासित प्रदेश होंगे। बस फर्क ये होगा कि जम्मू-कश्मीर में तो विधानसभा होगी, लेकिन लद्दाख में नहीं। लद्दाख केंद्र प्रशासित होगा। धारा 370 हटाने को लेकर राजनीतिक दलों में मतभेद जगजाहिर हैं। पीडीपी, नेशनल कांफ्रेंस जैसे जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक दल और कांग्रेस पार्टी इसके खुल कर विरोध में है। लेकिन बुनियादी सवाल यह है कि जो दल आज दो संविधान वाली व्यवस्था यानी धारा 370 को खत्म करने का विरोध कर रहे हैं और इसके नतीजे भुगतने की धमकियां दे रहे हैं, क्या वे वाकई कश्मीरी अवाम के हितों के रक्षक हैं? विशेष दर्जे के नाम पर कश्मीर के लोगों को आखिर कब तक गुमराह करते रहेंगे? आखिर एक न एक दिन तो इस समस्या का समाधान निकालना ही पड़ता। धारा 370 को भारत कब तक और क्यों खींचता रहे और क्यों राज्य को विशेष दर्जा मिला रहे?

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