कारगिल के 20 साल: 24 जून को टाइगर हिल पर वायुसेना ने दागा था पहला लेजर गाइडेड बम

Jun 24, 2019

कारगिल के 20 साल: 24 जून को टाइगर हिल पर वायुसेना ने दागा था पहला लेजर गाइडेड बम

कारगिल युद्ध को बीते 20 साल हो गए। फिर भी युद्ध के दौरान भारतीय सेना द्वारा प्रदर्शित किए गए शौर्य और पराक्रम की गाथाएं आज भी हर भारतीय के दिलों में जिंदा है। आज के ही दिन यानी 24 जून 1999 को टाइगर हिल पर भारतीय वायुसेना ने पहली बार लेजर गाइडेड बमों से हमला किया था। इस युद्ध की शुरुआत तब हुई जब पाकिस्तानी सेना ने भारतीय सीमा में घुसकर सामरिक रूप से महत्वपूर्ण चोटियों पर अवैध कब्जा कर लिया। इस युद्ध में भारतीय सेना ने अदम्य साहस और शौर्य का प्रदर्शन किया। जिसमें थलसेना के साथ वायुसेना भी कदम से कदम मिलाकर चलती नजर आई।

भारतीय वायुसेना ने आज के ही दिन (24 जून 1999) ऑपरेशन सफेद सागर के अंतर्गत टाइगर हिल पर जोरदार हवाई हमला किया। टाइगर हिल समुद्र तल से 5062 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। वायुसेना द्वारा किए गए हवाई हमले की निगरानी तत्कालीन वायुसेना प्रमुख अनिल यशवंत टिपनिस ने खुद एक विमान में बैठकर किया था। इस हमले में मिराज 2000 विमानों का प्रयोग कर दुश्मनों के ठिकानों पर लेजर गाइडेड बम गिराए गए।

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अचानक हुए हवाई हमले में पाकिस्तान के कई घुसपैठिए मारे गए। इस हमले के कारण ही 4 जुलाई 1999 को टाइगर हिल पर भारत का कब्जा हो सका। आपको बता दें कि बालाकोट स्ट्राइक के दौरान भारतीय वायुसेना ने मिराज 2000 विमानों का ही उपयोग किया था। एयफोर्स के इतिहास में यह पहला मौका था जब युद्ध के दौरान लेजर गाइडेड बमों का उपयोग किया गया। इस बमों को इजरायल से खरीदा गया था। जिसे विमानों में फिट करने के लिए उनके इंजीनियरों की एक टीम भी भारत आई हुई थी।

गोलियों की बौछार से बेपरवाह रस्सियों से चढ़ाई कर जीत ली टाइगर हिल

कारगिल युद्ध में हार और जीत को तय करने वाले सबसे अहम पड़ाव 'टाइगर हिल' सेना और वायुसेना के अदम्य साहस और शौर्य की अनूठी मिसाल बनी। ऊंचाई पर बंकर बनाकर बैठे दुश्मन तक पहुंचने के लिए रस्सी से चढ़ना था।
 
18 ग्रेनेडियर की घातक टीम को इसका जिम्मा मिला। योगेंद्र सिंह यादव ने स्वैच्छिक रूप से प्लाटून को चोटी तक पहुंचाने की जिम्मेदारी ली। चोटी पर रस्सी फंसाने के बाद वह अपनी टीम के साथ चढ़ाई कर रहे थे तो दुश्मन ने गोलियों की बौछार कर तीन साथियों को शहीद कर दिया।

बुरी तरह से घायल योगेंद्र ने चढ़ाई जारी रखी। करीब चार बजे ऊपर पहुंचते ही घायल योगेंद्र क्रालिंग से दुश्मन के बंकर तक पहुंचे और ग्रेनेड से चार दुश्मन ढेर कर दिए। घायल योगेंद्र को सुरक्षित निकालने को कहा गया लेकिन वे नहीं माने।

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टाइगर हिल जीतकर तोड़ी थी पाक की हिम्मत

खून से लथपथ योगेंद्र ने दूसरा बंकर उड़ाकर दुश्मन की फायरिंग को पूरी तरह से शांत कर दिया। घातक प्लाटून के असाधारण शौर्य प्रदर्शन से टाइगर हिल पर फतह मिल गई। ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव को अदम्य साहस के लिए परमवीर चक्र का सम्मान दिया गया।

कारगिल युद्ध में 4 जुलाई को टाइगर हिल पर भारतीय सेना के कब्जे से पाक की हिम्मत टूट गई थी। पाक प्रधानमंत्री नवाज शरीफ मदद मांगने अमेरिका जा पहुंचे लेकिन अमेरिका ने इनकार कर दिया। हार से घबराए शरीफ ने पांच जुलाई को पाक सेना हटाए जाने का बयान दिया जिससे पाकिस्तानी फौज का मनोबल टूट गया।

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