हमारे सगे नहीं हुए नेता, यमुना मैया का खाक खाक

May 23, 2019

हमारे सगे नहीं हुए नेता, यमुना मैया का खाक खाक

-उद्योग विहार (जून 2019)- फरीदाबाद।
किसानों के लिए जीवनदायिनी यमुना आज निर्मल होने के लिए छटपटा रही है। राजनीति का सहारा मिल जाए तो फिर से जीवंत हो उठेगी। लोकसभा क्षेत्र फरीदाबाद की बात करें तो यमुना की दिल्ली की ओर से आ रही गंदगी यहां जमीन की उर्वरा शक्ति को क्षीण कर रही है। यमुना किनारे सब्जियां उगाई जाती हैं। गंदे पानी से उगाए जाने की वजह से लोगों के स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है। यमुना की सफाई के प्रति न तो सरकार गंभीर है और न ही सामाजिक संगठन। यमुना को स्वच्छ करने के नाम पर सिर्फ बातें ही हुई हैं काम नहीं।

यमुना फरीदाबाद लोकसभा क्षेत्र में करीब 70 किलोमीटर की दूरी तय करती है। यमुना के दोनों तरफ जमीन है और खेती भी खूब होती है। सभी किसान केमिकल के पानी से खासे परेशान हैं। किसानों को उम्मीद थी कि एसवाईएल नहर का निर्माण होगा, तो फरीदाबाद को कुछ साफ पानी मिलेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पंजाब एसवाईएल का निर्माण नहीं होने देना चाहता और यमुना का जलस्तर तब तक नहीं बढ़ेगा। फरीदाबाद के पूरे पानी को दिल्ली पी जाती है और फरीदाबाद के हिस्से में केमिकल युक्त पानी आता है। ये पानी लोकसभा क्षेत्र की नहरों और रजवाहों में बहता है। जिससे सिंचाई की जाती है। इतना ही नहीं भूजल भी यमुना के पानी की वजह प्रदूषित हो रहा है। जिससे लोग तरह-तरह की बीमारियों से प्रभावित हो रहे हैं। आसपास के गांवों में लोग कैंसर जैसी बीमारियों प्रभावित हो रहे हैं।

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लोकसभा चुनाव में यमुना को लेकर किनारे पर रहने वाले लोग क्या सोचते हैं, इस बारे में उनसे बातचीत करने के लिए गांव ददसिया पहुंचे। यमुना किनारे तिलपत, बसंतपुर, लालपुर, किडावली, नचैली, अमीपुर, जसाना आदि गांव बसे हुए हैं। इन गांवों के किसानों ने गेहूं की फसल काट ली है। अब ये किसान भिंडी, घीया, तोरई, लोबिया की फसल ले रहे हैं। यहां पर सरदार गुरमीत सिंह कहते हैं कि दिल्ली के लोग यमुना में कूड़ा डालते हैं। जब भी पानी बढ़ जाता है, तो दिल्ली का सारा कूड़ा बहकर आता है और उनके खेतों में भर जाता है। कूड़े के नीचे फसल दब जाती है, जो पूरी तरह से नष्ट हो जाती है। हम लोग साल भर मेहनत करके फसल तैयार करते हैं लेकिन लोगों की एक लापरवाही हमारी पूरी मेहनत पर पानी फेर देती है। यदि दिल्ली की सरकार यमुना किनारे कूड़ा पालीथिन, थर्मोकाॅल आदि डालना बंद करा दे, तो निश्चित रूप से इसका लाभ मिलेगा। गांव किडावली के रहने वाले बलदेव सिंह कहते हैं कि लोकसभा चुनाव चल रहा है, यमुना की सफाई को लेकर कोई भी पार्टी बात नहीं कर रही है। सिर्फ अपने पार्टी के नेताओं के नाम पर वोट मांग रहे हैं। आम आदमी तो वोट देता है और अपनी जिम्मेदारी को निभाता है। लेकिन नेता ध्यान नहीं देते।

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इस बार फिर वोट देकर चले आएंगे और नेता चुनाव जीत कर दिल्ली चले जाएंगे। नरेंद्र सिंह बताते हैं कि वे 45 वर्ष पहले अमृतसर से फरीदाबाद आए थे और यहीं के होकर रहे गए। तब यमुना अमृतदायिनी होती थी। यमुना का मीठा नीला साफ पानी होता था। अब यमुना का पानी पूरी तरह से काला हो गया है। पहले पानी में कुछ गिर जाता था, तो दिखाई देता था, अब यदि यमुना में कुछ भी गिर जाए, तो वो ढूंढने से भी नहीं मिलता। यमुना किनारे रहने से दुर्गंध आती है।

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