यमुना की साफ-सफाई के बारे में सोचना सपने के समान
यमुना की साफ-सफाई के बारे में सोचना सपने के समान
उद्योग विहार (जून 2019)- नई दिल्ली।
गांव महावतपुर के करतार सिंह कहते हैं कि लोकसभा चुनाव में उनके गांव में तिगांव के विधायक ललित नागर यमुना के केमिकल युक्त गंदे पानी के मुद्दा को हरियाणा विधानसभा उठा चुके हैं यदि एसवाईएल नहर बन जाती तो सतलुज का पानी नहर से करनाल के पास यमुना में डाला जाता। जिससे यमुना का जलस्तर बढ़ता, तो फिर दिल्ली में ज्यादा पानी पहुंचता और साफ होता। फरीदाबाद को साफ पानी मिल जाता। लेकिन, यहां भी राजनीति ही होती रही। पहले नेताओं ने इस मुद्दे को उठाने का श्रेय लिया और फिर उस पर अपनी राजनीति रोटियां सेंकी। राजनीति ऐसी है जो कुछ भी नहीं करने देती। यही वजह है यमुना की सफाई के बारे में सोचना किसी सपने के समान हो गया है।
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यमुना को साफ कराने के लिए चुनाव जीतने वाले सांसद को दूसरे सांसदों से भी संपर्क करना चाहिए। खासतौर पर उत्तर प्रदेश, दिल्ली और हरियाणा के सांसद एकत्रित हों, तो सरकार इस मुद्दे पर सुनवाई कर सकती है, लेकिन समस्या यहां भी वही है। सांसदों में अपने हिों को लेकर तो एकजुटता हो जाती है। संसद में बिल पास हो जाते हैं, लेकिन जब जनता का मामला तो सवाल यह उठ खड़ा होता है कि आखिर पहल कौन करेगा। हर सांसद वोट लेना तो चाहता है लेकिन समस्या का निराकरण करने में दिलचस्पी नहीं लेता। हालांकि अब वर्तमान सरकार से कुछ उम्मीद बंधी है। गांव के लोग कहते हैं यदि यमुना की साफ-सफाई कर सकता है, तो मोदी जैसा नेता ही कर सकता है। ऐसे नेता दृढ़ निश्चयी होते हैं। वे जनहित के सामने खर्चा की चिंता नहीं करते।
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