श्रमिकों को वेतन भुगतान के लिए उद्योगों पर दबाव नहीं डाल सकते

Apr 25, 2020

श्रमिकों को वेतन भुगतान के लिए उद्योगों पर दबाव नहीं डाल सकते

श्रमिकों के मुद्दे को लेकर गठित संसदीय समिति के अध्यक्ष बीजद सांसद भृर्तहरि महताब ने कहा है कि लाकडाउन के अवधि के वेतन भत्तों के भुगतान के लिए उद्योगों पर दबाव नहीं डाला जा सकता।

इस संसदीय समिति ने अपनी यह रिपोर्ट लाकडाउन के चलते गुरुवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को आनलाइन प्रेषित कर दी। अपनी रिपोर्ट में समिति ने प्राकृतिक आपदा के चलते उद्योग बंद होने के बावजूद श्रमिकों को मुआवजा दिए जाने की बात पर अपनी आपत्ति जताई है।

रिपोर्ट में कहा गया कि भूकंप, बाढ़, तूफान के कारण जब उद्योग लंबे समय के लिए बंद होते हैं तो उसमें उद्यमी की कोई गलती नहीं होती। ऐसे में उद्योग चालू हुए बिना श्रमिकों को किसी भी तरह के भुगतान की बात न्यायसंगत नहीं है। पैनल ने कहा कि नियमों में और स्पष्टता होना चाहिए।

सांसद महताब ने कहा कि मौजूदा लॉकडाउन कोरोना के कारण उद्योगों पर लगाया गया है। ऐसे में उन पर भुगतान के लिए दबाव नहीं डाला जा सकता। इस समिति ने ले आफ, छंटनी और बंदी के संबंध में विशेष प्रावधान, अब 100 श्रमिकों की संख्या वाले कारखानों से बढ़ाकर 300 श्रमिकों वाले कारखानों पर ही लागू किए जाने की सिफारिश की है। इसमें कहा गया कि राजस्थान जैसे कुछ राज्यों ने इस संबंध में फैसला लेकर श्रमिक सीमा बढ़ाकर 300 कर भी दी है। समिति ने सुझाव दिया है कि यह सीमा बढ़ाने के लिए इंडस्टियल रिलेसंस एक्ट में संशोधन किया जाए।

संसद की स्थायी समिति के तीन सदस्यों माकपा के ई. करीम, भाकपा के लोकसभा सदस्य के.सुब्रायन और द्रमुक के एम.षनमुगम ने संसदीय पैनल इन संस्तुतियों के खिलाफ अपनी राय दी है। लॉकडाउन की अवधि के भुगतान मामले में संसदीय समिति की राय स्थायी समिति के तीन सदस्यों ने सिफारिशों से असहमति जताई |

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