श्रम सुधारों की अहम पहल, केंद्रीय निरीक्षण प्रणाली लागू
Source: amarujala
प्रदेश सरकार ने केंद्रीय निरीक्षण प्रणाली के दायरे में 11 कानूनों को लाने का फैसला किया है। इसके अलावा प्रणाली की कार्यविधि भी तय कर दी है। इसके तहत निरीक्षण की रिपोर्ट 48 घंटे के भीतर पोर्टल पर अपलोड करना अनिवार्य कर दिया गया है। नई व्यवस्था पूरी तरह ऑनलाइन होने से उद्यमियों व कारोबारियों को काफी सहूलियत होने की उम्मीद है। इसे महत्वपूर्ण श्रम सुधारों के रूप में लिया जा रहा है।
गौरतलब है कि सरकार ने हाल ही श्रम, फैक्टरीज, बॉयलर, पर्यावरण और विधिक माप विज्ञान विभाग को शामिल करते हुए केंद्रीय निरीक्षण प्रणाली लागू करने का फैसला किया था। अब इस केंद्रीयकृत प्रणाली की कार्ययोजना को मंजूरी दे दी गई है। इसके तहत 11 कानूनों को चिह्नत करते हुए निरीक्षण की पूरी प्रक्रिया चरणबद्ध तरीके से तय कर दी गई है। इससे निरीक्षण व्यवस्था में पारदर्शिता आएगी। वहीं, कारखाना व प्रतिष्ठान मालिकों को श्रम विभाग की लालफीताशाही से राहत मिलने की संभावना है।
अपर मुख्य सचिव श्रम सुरेश चंद्रा ने श्रम आयुक्त कानपुर को केंद्रीय निरीक्षण प्रणाली का क्रियान्वयन तत्काल प्रभाव से लागू करने का निर्देश दिया है। ये निर्देश समस्त मंडलायुक्तों व जिलाधिकारियों, निदेशक कारखाना, निदेशक बॉयलर, समस्त अपर, उप व सहायक श्रमायुक्तों, समस्त उप व सहायक निदेशक कारखाना को भेजे गए हैं।
केंद्रीय निरीक्षण प्रणाली से ऐसे होगी कार्यवाही
- निरीक्षण के लिए प्रतिष्ठानों का चयन रैंडम आधार पर होगा।
- निरीक्षण श्रम विभाग के पोर्टल पर अपलोड चेक लिस्ट के अनुसार होंगे।
- अधिष्ठानों व निरीक्षकों का चयन केंद्रीयकृत रूप से केंद्रीय निरीक्षण प्रणाली से इस तरह किया जाएगा कि कोई भी निरीक्षक किसी भी प्रतिष्ठान का दो बार निरीक्षण न कर सके।
- निरीक्षण टिप्पणी इस तरह अपलोड की जाएगी कि प्रतिष्ठान व विभाग उसे देख सके।
- निरीक्षण से पहले प्रतिष्ठानों को इसकी सूचना पोर्टल के जरिये दी जाएगी।
- केंद्रीय निरीक्षण प्रणाली के पोर्टल पर अपलोड की जाने वाली रिपोर्ट को 3 साल तक देखने और डाउनलोड करने की व्यवस्था होगी।
केंद्रीय निरीक्षण प्राणी के दायरे में ये 11 कानून
- समान पारिश्रमिक अधिनियम-1976
- न्यूनतम वेतन अधिनियम-1948
- उप्र दुकान व वाणिज्यिक अधिष्ठान अधिनियम-1962
- बोनस भुगतान अधिनियम-1965
- वेतन भुगतान अधिनियम-1936
- आनुतोषिक भुगतान अधिनियम-1972
- संविदा श्रम (विनियमन एवं उत्पादन) अधिनियम-1970
- कारखाना अधिनियम-1948
- भारतीय बॉयलर अधिनियम-1923
- मातृत्व हितलाभ अधिनियम-1961
- उत्तर प्रदेश श्रम कल्याण अधिनियम-1965