सुप्रीम कोर्ट ने राजाजी टाइगर रिज़र्व के भीतर उतराखंड सरकार की

Jun 24, 2019

सुप्रीम कोर्ट ने राजाजी टाइगर रिज़र्व के भीतर उतराखंड सरकार की " गैरकानूनी" सड़क के निर्माण पर रोक लगाई

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को राजाजी टाइगर रिज़र्व के भीतर पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र में सड़क के निर्माण पर रोक लगा दी है, जो कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व को जोड़ने वाले एक महत्वपूर्ण गलियारे से होकर गुजर रही है।

निर्माण कार्य पर तत्काल रोक लगाने का आदेश

पीठ ने केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (सीईसी) द्वारा पेश रिपोर्ट के आधार पर उत्तराखंड सरकार और उसकी एजेंसियों को नोटिस जारी किया है, जिसमें निर्माण कार्य पर तत्काल रोक लगाने का आदेश दिया गया था। अदालत ने राज्य के लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) द्वारा उत्तराखंड में राजाजी टाइगर रिजर्व में लालढांग- चिल्लरखाल के बीच बनाई जा रही 11.5 किलोमीटर लंबी सड़क के निर्माण कार्य पर रोक लगा दी।

यह भी पढ़े-

कोलकाता डॉक्टर हड़ताल सरकारी डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर दिशानिर्देश की मांग को लेकर दाखिल PIL पर मंगलवार को सुनवाई करेगा SC जानने के लिए लिंक पे क्लिक करे http://uvindianews.com/news/kolkata-doctor-will-be-hearing-on-filing-of-pil-on-tuesday-demanding-a-guideline-for-the-safety-of-government-doctors

जारी किए गए नोटिस

इस मामले में उत्तराखंड सरकार के मुख्य सचिव, मुख्य वन संरक्षक, मुख्य वन्यजीव वार्डन, राजाजी टाइगर रिजर्व के फील्ड निदेशक और लोक निर्माण विभाग के प्रमुख सचिव को नोटिस जारी किए गए हैं। निर्माण के लिए आवश्यक अनुमोदन लेने में विफल रही है राज्य सरकार 19 जून को सीईसी ने एक रिपोर्ट अदालत में दाखिल की थी जिसमें समिति ने यह कहा कि राज्य सरकार राजाजी टाइगर रिजर्व और कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के बीच गलियारे से गुजरने वाली सड़क के निर्माण के लिए आवश्यक अनुमोदन लेने में विफल रही है। जिस क्षेत्र में सड़क का निर्माण किया जा रहा है वहां प्रति 100 वर्ग किलोमीटर में 4 बाघ रहते हैं। वन्यजीव संरक्षण कार्यकर्ता रोहित चौधरी द्वारा अवैध सड़क निर्माण कार्य को सीईसी और अदालत के ध्यान में लाया गया था।

अदालत ने अपने आदेश में क्या कहा

न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति सूर्य कांत की पीठ ने यह आदेश दिया, "केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति द्वारा दायर सीईसी रिपोर्ट (अंतरिम) नंबर .16 / 2019, रिपोर्ट के अवलोकन पर, प्रथम दृष्टया यह प्रतीत होता है कि उत्तराखंड राज्य लालढांग- चिल्लरखाल रोड का निर्माण कर रहा है, जो राजाजी और कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के बीच गलियारे से गुजरती है। यह स्पष्ट है कि राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की सलाह नहीं ली गई है और नेशनल बोर्ड फॉर वाइल्डलाइफ की स्थायी समिति से अनुमति भी नहीं ली गई है। इस मामले में वन संरक्षण अधिनियम के कई उल्लंघन प्रतीत होते हैं इसलिए सड़क के आगे निर्माण को रोक दिया जाना चाहिए।"

यह भी पढ़े-

नए कानून से टैक्सपेयर्स को राहत देगी मोदी सरकार? टास्क फोर्स की रिपोर्ट बजट के बाद जानने के लिए लिंक पे क्लिक करे http://uvindianews.com/news/modi-government-to-give-taxpayers-relief-from-new-law-after-the-task-force-report-budget

वन्यजीव संरक्षण कार्यकर्ता रोहित चौधरी ने सीईसी को लिखा था पत्र

चौधरी ने 4 जून को सदस्य सचिव, सीईसी को पत्र लिखा था कि वह इस मामले को देखें और रिजर्व फॉरेस्ट क्षेत्र में सड़कों, पुलों और पुलियों के निर्माण को रोकें जिसमें वन्यजीवों से समृद्ध शिवालिक हाथी रिजर्व का एक हिस्सा है और इससे कई प्रजातियों को खतरा होगा। चौधरी के पत्र में उठायी गयी चिंताएं चौधरी ने अपनी अर्जी-पत्र में कहा कि वन्यजीव अधिनियम के तहत एनटीसीए की मंजूरी के बिना लालढांग- चिल्लरखाल रोड पर पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र में अवैध रूप से सड़कों, पुलों और पुलियों का निर्माण किया जा रहा है। उन्होंने कहा, "चूंकि यह काम पूरे जोर-शोर से चल रहा है इसलिए मैं इस आवेदन पर तत्काल सुनवाई के लिए अनुरोध कर रहा हूं अन्यथा पूरा प्रयास बर्बाद हो जाएगा और यह परियोजना गंभीर रूप से प्रभावित हो सकती है। इस क्षेत्र में जंगल और वन्यजीवों के लिए अपूरणीय क्षति होगी।" चौधरी ने प्रधान सचिव, वन और वन्यजीव, उत्तरांचल सरकार को मुख्य वन संरक्षक द्वारा लिखे गए 31 मई के एक पत्र का भी हवाला दिया, जिसमें उन्होंने सड़क के निर्माण को इस आधार पर उचित ठहराया था कि यह बारिश के दौरान गश्त और जानवरों की सुरक्षा के लिए उपयोगी होगा। "वर्ष 2014 के बाद नियमों में ढील के कारण वन्य जीवन पर पड़ा बुरा असर" चौधरी कहते हैं कि पहले यह रास्ता सूर्योदय और सूर्यास्त के बीच लालढांग, चमरिया, सिगड्डी आदि गांवों में स्थानीय लोगों के आवश्यक सामान आदि को ले जाने वाले छोटे वाहनों के लिए खोला गया था।

यह भी पढ़े-

HC जजों की सेवानिवृति आयु और SC जजों की संख्या बढ़ाने के लिए CJI गोगोई ने PM को चिट्ठी लिखी जानने के लिए लिंक पे क्लिक करे http://uvindianews.com/news/cji-gogoi-wrote-a-letter-to-pm-to-increase-the-retirement-age-of-hc-judges-and-the-number-of-sc-judges

साथ ही वर्ष 2014 तक यहां वाणिज्यिक वाहनों को प्रतिबंधित कर दिया गया था लेकिन बाद में नियमों में ढील दी गई जिससे वन्य जीवन पर बुरा असर पड़ा है। चौधरी के पत्र के बाद एनटीसीए ने मामले में दिया जवाब चौधरी का आवेदन मिलने पर सीईसी ने उत्तराखंड सरकार और लालढांग- चिल्लरखान बीच लोक निर्माण विभाग द्वारा किए गए निर्माण कार्य के संबंध में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) से जवाब मांगा। इसके बाद एनटीसीए ने जवाब दिया कि उत्तराखंड राज्य ने कानून की उचित प्रक्रिया की अनदेखी की है। किन धाराओं का हुआ है उल्लंघन उसने कहा कि वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की धारा 38 (ओ) (आई) (बी) का स्पष्ट रूप से उल्लंघन किया गया है क्योंकि ये सड़क राजाजी टाइगर रिजर्व के भीतर से जाती है। इसके अलावा ये सड़क राजाजी और कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व के बीच धारा 38 (ओ)  (जी) की भावना के तहत पहचाने गए गलियारे से गुजरती है और वर्ष 2014 के आंकड़ों के अनुसार 100 वर्ग किमी में 4 बाघों का क्षेत्र और चर शिकार घनत्व है। सीईसी ने की काम रोक देने की सिफारिश इसके पश्च्यात सीईसी ने यह निष्कर्ष निकाला कि सड़क पर काम शुरू करने से पहले पीडब्ल्यूडी ने राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड और बाघ संरक्षण प्राधिकरण के लिए आवश्यक अनुमोदन नहीं लिया था। सीईसी ने सिफारिश की कि काम को रोक दिया जाए क्योंकि यह अपरिवर्तनीय रूप से संवेदनशील क्षेत्र के आवास और वन्य जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा।