क्यों थामें हाथ, जब श्रमिक छोड़ रहे साथ

Apr 28, 2020

क्यों थामें हाथ, जब श्रमिक छोड़ रहे साथ

कोरोना महामारी से निटपने के लिए सरकार ने शारीरिक दूरी से आकस्मिक सेवा से जुड़ी इकाइयों में संचालन शुरू कराने की इजाजत दे दी है। जिससे आवश्यक सामग्री की आपूद्गत बाधित न हो और कोरोना से जंग बेहतर तरीके से लड़ी जाए। लेकिन नोएडा में बहुत ही चौकाने वाला मामला प्रकाश में आया है, जिसने श्रमिकों की निष्ठा को कठघरे में खड़ा कर दिया है। स्वास्थ्य सेवा से जुड़ी एपैक्स इंटरनेशनल के श्रमिकों ने मनमानी कर 3,14,000 अमेरिकी डॉलर से तैयार होने वाले फैक्ट्री में 30,000 वैक्सीन स्टोरेज कैरियर बॉक्स का उत्पादन ठप करवा दिया है। ऑर्डर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और यूनाइटेड चिल्ड्रनेंस फंड (यूनिसेफ) की ओर से म्यांमार के शहर यंगॉन में सप्लाई के लिए कंपनी को मिला है।

सूरजपुर में संचालित फैक्ट्री को जब लॉकडाउन में ऑर्डर मिला तो एपैक्स इंटरनेशनल चेयरमैन ललित खन्ना खुद जिला उद्योग केंद्र एवं निर्यात प्रोत्साहन विभाग में संपर्क किया, उपायुक्त अनिल कुमार से उत्पादन की अनुमति मांगी। स्वास्थ्य सेवा से जुड़ी फैक्ट्री होने के नाते उन्होंने तत्काल मंजूरी दे दी। साथ ही 25 श्रमिकों के साथ उत्पादन शुरू करने का प्रस्ताव प्रशासन के पास मंजूरी को भेजा।

प्रशासन ने सरकार की गाइड लाइन को समझाया। इसके बाद 25 श्रमिकों के साथ शारीरिक दूरी बनाते हुए काम शुरू करने को कहा। साथ ही श्रमिकों को फैक्ट्री में रुकने, स्वास्थ्य संबंधी, खाने पीने का प्रबंध करने के लिए निर्देशित किया।

स्वास्थ्य सेवा से जुड़ी एपैक्स इंटरनेशनल के 25 श्रमिकों की कारस्तानी ललित खन्ना सौ. से स्वयं काउंसिल की शरण में उद्यमी खन्ना ने इंजीनियरिंग एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया में वेबिनार के माध्यम से दुखड़ा रोया। सरकार से जवाब मांगा कि फैक्ट्री का प्रतिमाह 50 लाख रुपये का खर्च है। ऐसे में श्रमिकों को वेतन कैसे दिया जाए।

बिना काम वेतन मिल रहा, क्यों जाना

ललित खन्ना ने फैक्ट्री के अंदर हलवाई बैठाया, श्रमिकों के ठहरने के लिए फैक्ट्री में इंतजाम कराया। लेकिन काम पर सिर्फ 12 श्रमिक ही आए। दो दिन बाद उन्होंने आना बंद कर दिया। परेशान उद्यमी ने श्रमिकों से संपर्क साधा, जानकारी मिलने पर भौचक रह गए। काम पर आने वाले श्रमिकों को न आने वाले अन्य श्रमिकों ने यह कह रुकवा दिया कि जब सरकार बिना काम के ही वेतन दिलवा रही, तो क्यों जाना।

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